About Puja

“वेदो नारायणः साक्षात् स्वयम्भूरिति शुश्रुम" अर्थात् परमपिता परमात्मा का शुद्ध, चैतन्य एवं जगत्पलानकर्ता भगवान् नारायण का स्वरुप ही वेद है  जिस प्रकार परब्रह्म परमात्मा, जीव और प्रकृति अन्नतकाल से हैं उसी प्रकार वेदों की सत्ता भी अनादि, अकल्पनीय एवं अपौरुषेय है । इसलिए सर्वव्यापक भगवान् रूद्र का वैदिक मन्त्रों के माध्यम से पूजन, अभिषेक, जप तथा अर्चन किया जाता है । रुद्राभिषेक पूजा, भगवान् शिव की आराधना हेतु अत्यंत प्रभावी साधना है । उपनिषद् में भगवान् रूद्र की महिमा प्रतिपादित करते हुए लिखते हैं - "सर्वदेवात्मको रुद्रः सर्वे देवा:शिवात्मका:"

रु =दुःखम्, कष्टम् द्रावयति इति रुद्रः।

रुत् = ज्ञानम् ददाति इति रूद्र:,

राति = सर्वं ददाति इति रुद्रः। रोदयति मर्दयति पापिनः इति रुद्र:।

अर्थात् भगवान् रुद्रस्वरूप शिव सभी कष्टों का नाश करने वाले, पापों का शमन करने वाले तथा शरणागतों को ज्ञान (मोक्ष) प्रदान करने वाले हैं ।

भगवान् शिव की पूजा करने के साथ ही शास्त्रों में अभिषेक करने का भी महत्त्व प्रतिपादित किया गया है –

            “यश्वसागर पर्यन्तां सशैलवनकाननाम् ।

       सर्वान्नात्मगुणोपेतां सुवृक्षजलशोभिताम् ॥

       दद्यात् काञ्चनसंयुक्तां भूमिं चौषधिसंयुताम्।

       तस्मादप्यधिकं तस्य सकृद् रुद्रजपाद् भवेत्”॥  

अर्थात् जो साधक विभिन्न रत्नों,वन,पर्वतों एवं विशेष वृक्षों से आच्छादित वसुंधरा (पृथ्वी) का दान करता है, इस दान की अपेक्षा चारगुना फल उपासक को एक बार भगवान् शिव का अभिषेक करने से प्राप्त हो जाता है।

नोट :- यह पूजा विशेष रूप से उन जातकों के लिए प्रभावशाली मानी जाती है जो जीवन में किसी प्रकार की मानसिक अशांति, तनाव, रोग, या आर्थिक तंगी से परेशान हैं। रुद्राभिषेक पूजा के प्रभाव से जीवन में सुख,समृद्धि, तथा शांति प्राप्त होती है।

Process

रुद्राभिषेक एवं शिवाराधन में होने वाले प्रयोग या विधि: -

1. सर्वपवित्रीकरण एवं पवित्रीधारण 
2. आचमन एवं प्राणायाम 
3.  रक्षादीप, अधिकारार्थ प्रायश्चित सङ्कल्प:
4.  गो प्रार्थना 
5.  स्वस्तिवाचन
6.  पूजा सङ्कल्प
7.  गणेशाम्बिका पूजन - (आवाहन, प्राणप्रतिष्ठा,आसन, पाद्य, अर्घ्य,आचमन, स्नान,पञ्चामृतस्नान, शुद्धोदक वस्त्र, यज्ञोपवीत, उपवस्त्र
                             चन्दन, अक्षत, पुष्पमाला, दूर्वा, सिन्दूर, अबीर, धूप दीप,नैवेध, ऋतुफल, करोद्वर्तन, ताम्बूल, दक्षिणा, आरती,
                              पुष्पाञ्जति, प्रदक्षिणा, विशेषार्घ्य, प्रार्थना एवं समर्पण )
8.  ब्राह्मण वरण (विप्र पूजन )
9.  पार्षद पूजन -[नन्दीश्वर-पूजन, वीरभद्र-पूजन, कार्तिकेय पूजन, कुबेर- पूजन, कीर्तिमुख पूजन, सर्प- पूजन]  
10. शिव पूजन -[ध्यान, आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन स्नान, दुग्धस्नान, दधिस्नान, धृतस्नान, मधुस्नान,शर्करास्नान, पञ्चामृतस्नान,
                      गन्धोदक स्नान,शुद्धोदक स्नान,महाभिषेक,आचमन,वस्त्र,यज्ञोपवीत,उपवस्त्र,चन्दन, भस्म,अक्षत, पुष्पमाला, बिल्वपत्र,
                      दुर्वा, सुगन्धित द्रव्य]
11.  एकादश रुद्रपूजा
12.  एकादश शक्तिपूजा-  [आभूषण ,नानापरिमल द्रव्य, सिन्दूर, धूप, दीप, नैवेध, करोद्वर्तन, ऋतुफल , ताम्बूल, द्रव्यदक्षिणा, स्तुति] 
13.  विशेषपूजा - अङ्गपूजा, गणपूजा, अष्टमूर्तिपूजा
14.  पञ्चवक्त्र पूजा 1-पश्चिमवक्त्र, 2-उत्तरवक्त्र, 3-दक्षिणवक्त्र, 4-पूर्ववक्त्र, 5-उर्ध्वमुख
15.  श्रृङ्गी या धारापात्र पूजन
16.  विनियोग तथा पूर्व षडङ्गन्यास [हृदय, सिर, शिखा, कवच, नेत्र, अस्त्र]
17.  भगवान् शिव का ध्यान - ॐ नमः शिवाय का जप
18.  अभिषेक प्रारम्भ
19.. उत्तर-षडङ्गन्यास
20.  उत्तरपूजन, आरती, पुष्पाञ्जलि
21.  परिक्रमा, प्रणाम, क्षमाप्रार्थना, दक्षिणादान, भूयसी सङ्कल्प, अभिषेक, विसर्जन, रक्षाबन्धन, तिलक, आशीर्वाद
22.  स्तोत्रपाठ

Benefits
  • वास्तविक शांति और मानसिक संतुलन: इस पूजा से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन की समस्याओं से निजात पा सकता है।
  • रोगों से मुक्ति: यह पूजा शारीरिक समस्याओं से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।
  • आर्थिक समृद्धि: रुद्राभिषेक से धन एवं ऐश्वर्य में वृद्धि होती है, जिससे आर्थिक समस्याएँ दूर होती हैं।
  • कृपा और आशीर्वाद: भगवान् शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
  • परिवार में सुख-शांति: पूजा से परिवार में सुख, सम्रद्धि, शांति और एकता बनी रहती है।
  • रचनात्मकता और शक्ति: रुद्राभिषेक से मनुष्य की रचनात्मक शक्ति और कार्यक्षमता में वृद्धि होती है, जिससे वह अपने जीवन में बेहतर निर्णय ले सकता है।
  • समस्त मनोकामना पूर्ति :- जो साधक भगवान् शिव का रूद्रपाठ पूर्वक रुद्राभिषेक करते हैं उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं ।
  • कष्टों से मुक्ति :- भगवान् शिव के उपासना करते हुए, वैदिक मन्त्रों के माध्यम भस्मधारण पूर्वक जो रुद्रपाठ का श्रवण करता है तथा जल,दुग्ध,दही, शहद, घी या किसी भी उचित पदार्थ से शिवाभिषेक करता है, उसके सभी कष्ट, राग, द्वेष दूर हो जाते हैं।
  • समयाभाव :- समय के अभाव के कारण जो उपासक सम्पूर्ण रुद्राष्टाध्यायी से भगवान् का अभिषेक नहीं कर पते हैं उनके लिए शतरुद्रिय का विधान है, रुद्राष्टाध्यायी के पंचम अध्याय को ही शतरुद्रिय कहा गया है ।
        • महर्षि याज्ञवल्क्य ने अथर्ववेद के जाबाली उपनिषद में शतरुद्रिय पाठ को अमृततत्व का साधन बतलाया है
        • कृष्ण यजुर्वेद के कैवल्योपनिषद में शतरुद्रिय पाठ को मोक्ष प्राप्ति का उत्तम उपाय बतलाया है
  • पवित्रीकरण :-जो साधक शतरुद्रिय या रुद्राष्टाध्यायी के वैदिक मन्त्रों का श्रवण या पठन करता है उसे अग्नि और वायु स्वयं पवित्र करते हैं
  • उत्तम वर/कन्या प्राप्ति :- रुद्राष्टाध्यायी के वैदिक मन्त्रों से जो साधक अभिषेक एवं शिवार्चन करते हैं उन कन्याओं को उत्तम एवं सर्वगुण सम्पन्न पति की प्राप्ति तथा पुरुषों द्वारा शिवार्चन करने से सुन्दर एवं सुशील पत्नी की प्राप्ति होती है।

नोट :  भगवान् शिव की आराधना अनुष्ठानात्मक, अभिषेकात्मक तथा होमात्मक तीनों प्रकार से की जा सकती है ।

Puja Samagri
  • रोली,कलावा    
  • सिन्दूर,लवङ्ग 
  • इलाइची,सुपारी 
  • हल्दी,अबीर 
  • गुलाल,अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र,शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत,पीला सरसों 
  • देशी घी,कपूर 
  • माचिस,जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा
  • चावल(छोटा वाला),
  • सप्तमृत्तिका 
  • सर्वोषधि   
  • पंचगव्य गोघृत,गोमूत्र
  • चमेली तेल,कमलगट्टा
  • काला तिल,पीली सरसो
  • भस्म,चीनी
  • पार्वती जी के लिए श्रृङ्गार
  • भगवान् शिव के लिए वस्त्र धोती गमछा आदि
  • गन्ने का रस :- 2 लीटर
  • पान का पत्ता :- 11 पीस
  • पुष्प विभिन्न प्रकार आधा किलो, मन्दार पुष्पमाला 5 पीस
  • पुष्पमाला, गुलाब का पुष्प आधा किलो
  • धतूर का पुष्प एवं फल :- धतूर फल  
  • मन्दार पुष्प
  • तुलसी और तुलसी मंजरी 1 मुठ्ठी
  • कमलपुष्प (यदि  संभव हो )
  • बिल्वपत्र, बिल्वफल
  • पानी वाला नारियल
  • भांग
  • फलों का रस :- 250 ग्राम
  • हरी दुर्वा घास :- 1 मुठ्ठी
  • फूलों की लडी़ श्रृङ्गार के लिए
  • बड़ी साइज की परात 
  • दूध :-  5 लीटर
  • दही :- 250 ग्राम
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार:- 
  • आम का पल्लव - 2
  • फल :- भक्तों की संख्या केअनुसार
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • पीला कपड़ा सूती ,तांबा या पीतल का कलश 
  • शिव लिङ्ग की व्यवस्था (यदि घर में अभिषेक हो तो)

रुद्राभिषेक पूजा के लिए मुख्य रूप से जल, दूध, घी, शहद, दही, फल, फूल, रुद्राक्ष माला और शुद्ध स्थान की आवश्यकता होती है तथा सनातन के द्वारा दिए गए पूजन सामग्री के पैकेज को आप ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं।

हां, रुद्राभिषेक पूजा किसी भी व्यक्ति द्वारा की जा सकती है। विशेष रूप से यह पूजा मानसिक शांति, रोगों से मुक्ति और आर्थिक समृद्धि प्राप्त करने के लिए की जाती है।

यदि आप घर पर रुद्राभिषेक पूजा करना चाहते हैं, तो आपको अनुभवी पंडित की सहायता की आवश्यकता होगी। सनातन आपको ऑनलाइन पंडितजी सेवा प्रदान करता है, जिससे आप घर बैठे पूजा करवा सकते हैं।

जी हां, रुद्राभिषेक पूजा से भगवान् शिव की कृपा प्राप्त होती है, जो व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और सुख लाती है।

सनातन अपने अनुभवी पंडितों के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाली पूजा सेवाएं प्रदान करता है। पूजा विधि और सामग्री की शुद्धता पर विशेष ध्यान दिया जाता है, जिससे भक्तों को सर्वोत्तम लाभ प्राप्त हो।

About Puja

“वेदो नारायणः साक्षात् स्वयम्भूरिति शुश्रुम" अर्थात् परमपिता परमात्मा का शुद्ध, चैतन्य एवं जगत्पलानकर्ता भगवान् नारायण का स्वरुप ही वेद है  जिस प्रकार परब्रह्म परमात्मा, जीव और प्रकृति अन्नतकाल से हैं उसी प्रकार वेदों की सत्ता भी अनादि, अकल्पनीय एवं अपौरुषेय है । इसलिए सर्वव्यापक भगवान् रूद्र का वैदिक मन्त्रों के माध्यम से पूजन, अभिषेक, जप तथा अर्चन किया जाता है । रुद्राभिषेक पूजा, भगवान् शिव की आराधना हेतु अत्यंत प्रभावी साधना है । उपनिषद् में भगवान् रूद्र की महिमा प्रतिपादित करते हुए लिखते हैं - "सर्वदेवात्मको रुद्रः सर्वे देवा:शिवात्मका:"

रु =दुःखम्, कष्टम् द्रावयति इति रुद्रः।

रुत् = ज्ञानम् ददाति इति रूद्र:,

राति = सर्वं ददाति इति रुद्रः। रोदयति मर्दयति पापिनः इति रुद्र:।

अर्थात् भगवान् रुद्रस्वरूप शिव सभी कष्टों का नाश करने वाले, पापों का शमन करने वाले तथा शरणागतों को ज्ञान (मोक्ष) प्रदान करने वाले हैं ।

भगवान् शिव की पूजा करने के साथ ही शास्त्रों में अभिषेक करने का भी महत्त्व प्रतिपादित किया गया है –

            “यश्वसागर पर्यन्तां सशैलवनकाननाम् ।

       सर्वान्नात्मगुणोपेतां सुवृक्षजलशोभिताम् ॥

       दद्यात् काञ्चनसंयुक्तां भूमिं चौषधिसंयुताम्।

       तस्मादप्यधिकं तस्य सकृद् रुद्रजपाद् भवेत्”॥  

अर्थात् जो साधक विभिन्न रत्नों,वन,पर्वतों एवं विशेष वृक्षों से आच्छादित वसुंधरा (पृथ्वी) का दान करता है, इस दान की अपेक्षा चारगुना फल उपासक को एक बार भगवान् शिव का अभिषेक करने से प्राप्त हो जाता है।

नोट :- यह पूजा विशेष रूप से उन जातकों के लिए प्रभावशाली मानी जाती है जो जीवन में किसी प्रकार की मानसिक अशांति, तनाव, रोग, या आर्थिक तंगी से परेशान हैं। रुद्राभिषेक पूजा के प्रभाव से जीवन में सुख,समृद्धि, तथा शांति प्राप्त होती है।

Process

रुद्राभिषेक एवं शिवाराधन में होने वाले प्रयोग या विधि: -

1. सर्वपवित्रीकरण एवं पवित्रीधारण 
2. आचमन एवं प्राणायाम 
3.  रक्षादीप, अधिकारार्थ प्रायश्चित सङ्कल्प:
4.  गो प्रार्थना 
5.  स्वस्तिवाचन
6.  पूजा सङ्कल्प
7.  गणेशाम्बिका पूजन - (आवाहन, प्राणप्रतिष्ठा,आसन, पाद्य, अर्घ्य,आचमन, स्नान,पञ्चामृतस्नान, शुद्धोदक वस्त्र, यज्ञोपवीत, उपवस्त्र
                             चन्दन, अक्षत, पुष्पमाला, दूर्वा, सिन्दूर, अबीर, धूप दीप,नैवेध, ऋतुफल, करोद्वर्तन, ताम्बूल, दक्षिणा, आरती,
                              पुष्पाञ्जति, प्रदक्षिणा, विशेषार्घ्य, प्रार्थना एवं समर्पण )
8.  ब्राह्मण वरण (विप्र पूजन )
9.  पार्षद पूजन -[नन्दीश्वर-पूजन, वीरभद्र-पूजन, कार्तिकेय पूजन, कुबेर- पूजन, कीर्तिमुख पूजन, सर्प- पूजन]  
10. शिव पूजन -[ध्यान, आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन स्नान, दुग्धस्नान, दधिस्नान, धृतस्नान, मधुस्नान,शर्करास्नान, पञ्चामृतस्नान,
                      गन्धोदक स्नान,शुद्धोदक स्नान,महाभिषेक,आचमन,वस्त्र,यज्ञोपवीत,उपवस्त्र,चन्दन, भस्म,अक्षत, पुष्पमाला, बिल्वपत्र,
                      दुर्वा, सुगन्धित द्रव्य]
11.  एकादश रुद्रपूजा
12.  एकादश शक्तिपूजा-  [आभूषण ,नानापरिमल द्रव्य, सिन्दूर, धूप, दीप, नैवेध, करोद्वर्तन, ऋतुफल , ताम्बूल, द्रव्यदक्षिणा, स्तुति] 
13.  विशेषपूजा - अङ्गपूजा, गणपूजा, अष्टमूर्तिपूजा
14.  पञ्चवक्त्र पूजा 1-पश्चिमवक्त्र, 2-उत्तरवक्त्र, 3-दक्षिणवक्त्र, 4-पूर्ववक्त्र, 5-उर्ध्वमुख
15.  श्रृङ्गी या धारापात्र पूजन
16.  विनियोग तथा पूर्व षडङ्गन्यास [हृदय, सिर, शिखा, कवच, नेत्र, अस्त्र]
17.  भगवान् शिव का ध्यान - ॐ नमः शिवाय का जप
18.  अभिषेक प्रारम्भ
19.. उत्तर-षडङ्गन्यास
20.  उत्तरपूजन, आरती, पुष्पाञ्जलि
21.  परिक्रमा, प्रणाम, क्षमाप्रार्थना, दक्षिणादान, भूयसी सङ्कल्प, अभिषेक, विसर्जन, रक्षाबन्धन, तिलक, आशीर्वाद
22.  स्तोत्रपाठ

Benefits
  • वास्तविक शांति और मानसिक संतुलन: इस पूजा से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन की समस्याओं से निजात पा सकता है।
  • रोगों से मुक्ति: यह पूजा शारीरिक समस्याओं से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।
  • आर्थिक समृद्धि: रुद्राभिषेक से धन एवं ऐश्वर्य में वृद्धि होती है, जिससे आर्थिक समस्याएँ दूर होती हैं।
  • कृपा और आशीर्वाद: भगवान् शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
  • परिवार में सुख-शांति: पूजा से परिवार में सुख, सम्रद्धि, शांति और एकता बनी रहती है।
  • रचनात्मकता और शक्ति: रुद्राभिषेक से मनुष्य की रचनात्मक शक्ति और कार्यक्षमता में वृद्धि होती है, जिससे वह अपने जीवन में बेहतर निर्णय ले सकता है।
  • समस्त मनोकामना पूर्ति :- जो साधक भगवान् शिव का रूद्रपाठ पूर्वक रुद्राभिषेक करते हैं उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं ।
  • कष्टों से मुक्ति :- भगवान् शिव के उपासना करते हुए, वैदिक मन्त्रों के माध्यम भस्मधारण पूर्वक जो रुद्रपाठ का श्रवण करता है तथा जल,दुग्ध,दही, शहद, घी या किसी भी उचित पदार्थ से शिवाभिषेक करता है, उसके सभी कष्ट, राग, द्वेष दूर हो जाते हैं।
  • समयाभाव :- समय के अभाव के कारण जो उपासक सम्पूर्ण रुद्राष्टाध्यायी से भगवान् का अभिषेक नहीं कर पते हैं उनके लिए शतरुद्रिय का विधान है, रुद्राष्टाध्यायी के पंचम अध्याय को ही शतरुद्रिय कहा गया है ।
        • महर्षि याज्ञवल्क्य ने अथर्ववेद के जाबाली उपनिषद में शतरुद्रिय पाठ को अमृततत्व का साधन बतलाया है
        • कृष्ण यजुर्वेद के कैवल्योपनिषद में शतरुद्रिय पाठ को मोक्ष प्राप्ति का उत्तम उपाय बतलाया है
  • पवित्रीकरण :-जो साधक शतरुद्रिय या रुद्राष्टाध्यायी के वैदिक मन्त्रों का श्रवण या पठन करता है उसे अग्नि और वायु स्वयं पवित्र करते हैं
  • उत्तम वर/कन्या प्राप्ति :- रुद्राष्टाध्यायी के वैदिक मन्त्रों से जो साधक अभिषेक एवं शिवार्चन करते हैं उन कन्याओं को उत्तम एवं सर्वगुण सम्पन्न पति की प्राप्ति तथा पुरुषों द्वारा शिवार्चन करने से सुन्दर एवं सुशील पत्नी की प्राप्ति होती है।

नोट :  भगवान् शिव की आराधना अनुष्ठानात्मक, अभिषेकात्मक तथा होमात्मक तीनों प्रकार से की जा सकती है ।

Puja Samagri
  • रोली,कलावा    
  • सिन्दूर,लवङ्ग 
  • इलाइची,सुपारी 
  • हल्दी,अबीर 
  • गुलाल,अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र,शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत,पीला सरसों 
  • देशी घी,कपूर 
  • माचिस,जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा
  • चावल(छोटा वाला),
  • सप्तमृत्तिका 
  • सर्वोषधि   
  • पंचगव्य गोघृत,गोमूत्र
  • चमेली तेल,कमलगट्टा
  • काला तिल,पीली सरसो
  • भस्म,चीनी
  • पार्वती जी के लिए श्रृङ्गार
  • भगवान् शिव के लिए वस्त्र धोती गमछा आदि
  • गन्ने का रस :- 2 लीटर
  • पान का पत्ता :- 11 पीस
  • पुष्प विभिन्न प्रकार आधा किलो, मन्दार पुष्पमाला 5 पीस
  • पुष्पमाला, गुलाब का पुष्प आधा किलो
  • धतूर का पुष्प एवं फल :- धतूर फल  
  • मन्दार पुष्प
  • तुलसी और तुलसी मंजरी 1 मुठ्ठी
  • कमलपुष्प (यदि  संभव हो )
  • बिल्वपत्र, बिल्वफल
  • पानी वाला नारियल
  • भांग
  • फलों का रस :- 250 ग्राम
  • हरी दुर्वा घास :- 1 मुठ्ठी
  • फूलों की लडी़ श्रृङ्गार के लिए
  • बड़ी साइज की परात 
  • दूध :-  5 लीटर
  • दही :- 250 ग्राम
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार:- 
  • आम का पल्लव - 2
  • फल :- भक्तों की संख्या केअनुसार
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • पीला कपड़ा सूती ,तांबा या पीतल का कलश 
  • शिव लिङ्ग की व्यवस्था (यदि घर में अभिषेक हो तो)

रुद्राभिषेक पूजा के लिए मुख्य रूप से जल, दूध, घी, शहद, दही, फल, फूल, रुद्राक्ष माला और शुद्ध स्थान की आवश्यकता होती है तथा सनातन के द्वारा दिए गए पूजन सामग्री के पैकेज को आप ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं।

हां, रुद्राभिषेक पूजा किसी भी व्यक्ति द्वारा की जा सकती है। विशेष रूप से यह पूजा मानसिक शांति, रोगों से मुक्ति और आर्थिक समृद्धि प्राप्त करने के लिए की जाती है।

यदि आप घर पर रुद्राभिषेक पूजा करना चाहते हैं, तो आपको अनुभवी पंडित की सहायता की आवश्यकता होगी। सनातन आपको ऑनलाइन पंडितजी सेवा प्रदान करता है, जिससे आप घर बैठे पूजा करवा सकते हैं।

जी हां, रुद्राभिषेक पूजा से भगवान् शिव की कृपा प्राप्त होती है, जो व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और सुख लाती है।

सनातन अपने अनुभवी पंडितों के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाली पूजा सेवाएं प्रदान करता है। पूजा विधि और सामग्री की शुद्धता पर विशेष ध्यान दिया जाता है, जिससे भक्तों को सर्वोत्तम लाभ प्राप्त हो।
Mahadev

रुद्राभिषेक पूजा

रुद्राभिषेक | Duration : 3 Hrs 30 min
Price : ₹ 3100 onwards
Price Range: 3100 to 5100

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