About Puja

ङ्गालहरी पण्डितराज जगन्नाथ का एक स्तुत्यात्मक ग्रंथ है। ये एक उत्कृष्ट साहित्यकार, समालोचक, कवि तथा वैयाकरण थे। पण्डितराज जगन्नाथ कश्यप गोत्रीय तैलङ्ग ब्राह्मण थे, इनके पिता का नाम पेरुभट्ट तथा माता लक्ष्मी थीं। पण्डितराज जगन्नाथ जहाँगीर के दरबारी कवि थे। इनके द्वारा रचित ग्रंथ पीयूष लहरी, गङ्गालहरी, अमृत लहरी, लक्ष्मीलहरी स्तोत्र ग्रंथ के साथ ही रसगङ्गाधर, चित्रमीमांसा खण्डन, मनोरमाकुचमर्दन आदि उत्कृष्ट ग्रन्थ हैं। मुगल विद्वान् युवराज दारा शिकोह के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध था। अन्ततः मथुरा एवं काशी में उनका जीवन व्यतीत हुआ । यवन संसर्ग दोष से दूषित होने के कारण काशी के विद्वानों ने इनका बहिष्कार कर दिया। काशी में उन्होंने गङ्गालहरी के श्लोकों का उच्चारण करते हुए  गङ्गा में ही आत्मोत्सर्ग कर लिया, गङ्गालहरी पण्डितराज की उत्कृष्ट रचना है, जिसमें मां भागीरथी के महिमा का विस्तृत वर्णन है।

Process

स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ

प्रतिज्ञा-सङ्कल्प

गणपति गौरी पूजन

कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन

पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक

षोडशमातृका पूजन

सप्तघृतमातृका पूजन

आयुष्यमन्त्रपाठ

नवग्रह मण्डल पूजन

अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन

पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 

रक्षाविधान, प्रधान देवता पूजन

 पाठ विधान

विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास

ध्यानम्, स्तोत्र पाठ

पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका

आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन

घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम

भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति

संस्रवप्राश , मार्जन, पूर्णपात्र दान

प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 

पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन

Benefits

पण्डितराज जगन्नाथ कृत् गङ्गालहरी का श्रद्धा एवं विश्वासपूर्ण, विधिविधान पूर्वक पाठ करने से या वेदज्ञ ब्राह्मण द्वारा कराने से माँ गङ्गा प्रसन्न होकर सर्वभाँति समृद्धि तथा सौभाग्य का द्वार खोल देती हैं।

माँ गङ्गा श्रुतियों की सारस्वरूपा हैं, देवताओं का मूर्तिमान् पुण्यरूप हैं, सौन्दर्य का सारस्वरूप गङ्गाजल समस्त अमङ्गलों को दूर कर देता है।

गङ्गालहरी द्वारा माँ गङ्गा की आराधना से दरिद्रों का दारिद्र्य तथा पापियों का पाप अतिशीघ्र नष्ट हो जाता है।

गङ्गा जी के पवित्र जल का सेवन और गङ्गा लहरी का पाठ, आधिदैविक आदि तीनों तापों तथा मन के संताप का निवारण करता है।

मां गङ्गा का यह स्तवन प्राणियों के पाप तथा जन्म मरण के दुःखों का निवारण करती हैं।

जन्म से बहरे, मूक, भूतप्रेत आदि का आवेश हो गया हो, जधन्य पापी आदि के लिए आपका जल अमृतमय तथा स्तवन उद्धारक है।

गङ्गालहरी के स्तवन से ब्रह्महत्यारा, गुरुपत्नीगामी, मद्यपायी, स्वर्णस्तेयी आदि महापातकी का भी उद्धार हो जाता है।

            इमां पीयूषलहरीं जगन्नाथेन निर्मिताम् ।
            यः पठेत्तस्य सर्वत्र जायन्ते सुखसम्पदः ॥

जो पण्डितराज जगन्नाथ के द्वारा निर्मित इस पीयूष लहरी (अमृत प्रवाह समतुल्य मधुर गङ्गालहरी) का पाठ करता है, उसे सर्वत्र सुख सम्पदा प्राप्त होती है।

Puja Samagri

रोली, कलावा    

सिन्दूर, लवङ्ग 

इलाइची, सुपारी 

हल्दी, अबीर 

गुलाल, अभ्रक 

गङ्गाजल, गुलाबजल 

इत्र, शहद 

धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 

यज्ञोपवीत, पीला सरसों 

देशी घी, कपूर 

माचिस, जौ 

दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 

सफेद चन्दन, लाल चन्दन 

अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 

चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 

सप्तमृत्तिका 

सप्तधान्य, सर्वोषधि 

पञ्चरत्न, मिश्री 

पीला कपड़ा सूती

haan , yh ghr kiya ja sakta h

jab ghr men koi samasya ho to yh paath kiya ja sakta hai

is paath ko okabhi bhi ghar kiya ja skata hai

About Puja

ङ्गालहरी पण्डितराज जगन्नाथ का एक स्तुत्यात्मक ग्रंथ है। ये एक उत्कृष्ट साहित्यकार, समालोचक, कवि तथा वैयाकरण थे। पण्डितराज जगन्नाथ कश्यप गोत्रीय तैलङ्ग ब्राह्मण थे, इनके पिता का नाम पेरुभट्ट तथा माता लक्ष्मी थीं। पण्डितराज जगन्नाथ जहाँगीर के दरबारी कवि थे। इनके द्वारा रचित ग्रंथ पीयूष लहरी, गङ्गालहरी, अमृत लहरी, लक्ष्मीलहरी स्तोत्र ग्रंथ के साथ ही रसगङ्गाधर, चित्रमीमांसा खण्डन, मनोरमाकुचमर्दन आदि उत्कृष्ट ग्रन्थ हैं। मुगल विद्वान् युवराज दारा शिकोह के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध था। अन्ततः मथुरा एवं काशी में उनका जीवन व्यतीत हुआ । यवन संसर्ग दोष से दूषित होने के कारण काशी के विद्वानों ने इनका बहिष्कार कर दिया। काशी में उन्होंने गङ्गालहरी के श्लोकों का उच्चारण करते हुए  गङ्गा में ही आत्मोत्सर्ग कर लिया, गङ्गालहरी पण्डितराज की उत्कृष्ट रचना है, जिसमें मां भागीरथी के महिमा का विस्तृत वर्णन है।

Process

स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ

प्रतिज्ञा-सङ्कल्प

गणपति गौरी पूजन

कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन

पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक

षोडशमातृका पूजन

सप्तघृतमातृका पूजन

आयुष्यमन्त्रपाठ

नवग्रह मण्डल पूजन

अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन

पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 

रक्षाविधान, प्रधान देवता पूजन

 पाठ विधान

विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास

ध्यानम्, स्तोत्र पाठ

पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका

आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन

घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम

भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति

संस्रवप्राश , मार्जन, पूर्णपात्र दान

प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 

पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन

Benefits

पण्डितराज जगन्नाथ कृत् गङ्गालहरी का श्रद्धा एवं विश्वासपूर्ण, विधिविधान पूर्वक पाठ करने से या वेदज्ञ ब्राह्मण द्वारा कराने से माँ गङ्गा प्रसन्न होकर सर्वभाँति समृद्धि तथा सौभाग्य का द्वार खोल देती हैं।

माँ गङ्गा श्रुतियों की सारस्वरूपा हैं, देवताओं का मूर्तिमान् पुण्यरूप हैं, सौन्दर्य का सारस्वरूप गङ्गाजल समस्त अमङ्गलों को दूर कर देता है।

गङ्गालहरी द्वारा माँ गङ्गा की आराधना से दरिद्रों का दारिद्र्य तथा पापियों का पाप अतिशीघ्र नष्ट हो जाता है।

गङ्गा जी के पवित्र जल का सेवन और गङ्गा लहरी का पाठ, आधिदैविक आदि तीनों तापों तथा मन के संताप का निवारण करता है।

मां गङ्गा का यह स्तवन प्राणियों के पाप तथा जन्म मरण के दुःखों का निवारण करती हैं।

जन्म से बहरे, मूक, भूतप्रेत आदि का आवेश हो गया हो, जधन्य पापी आदि के लिए आपका जल अमृतमय तथा स्तवन उद्धारक है।

गङ्गालहरी के स्तवन से ब्रह्महत्यारा, गुरुपत्नीगामी, मद्यपायी, स्वर्णस्तेयी आदि महापातकी का भी उद्धार हो जाता है।

            इमां पीयूषलहरीं जगन्नाथेन निर्मिताम् ।
            यः पठेत्तस्य सर्वत्र जायन्ते सुखसम्पदः ॥

जो पण्डितराज जगन्नाथ के द्वारा निर्मित इस पीयूष लहरी (अमृत प्रवाह समतुल्य मधुर गङ्गालहरी) का पाठ करता है, उसे सर्वत्र सुख सम्पदा प्राप्त होती है।

Puja Samagri

रोली, कलावा    

सिन्दूर, लवङ्ग 

इलाइची, सुपारी 

हल्दी, अबीर 

गुलाल, अभ्रक 

गङ्गाजल, गुलाबजल 

इत्र, शहद 

धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 

यज्ञोपवीत, पीला सरसों 

देशी घी, कपूर 

माचिस, जौ 

दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 

सफेद चन्दन, लाल चन्दन 

अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 

चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 

सप्तमृत्तिका 

सप्तधान्य, सर्वोषधि 

पञ्चरत्न, मिश्री 

पीला कपड़ा सूती

haan , yh ghr kiya ja sakta h

jab ghr men koi samasya ho to yh paath kiya ja sakta hai

is paath ko okabhi bhi ghar kiya ja skata hai
ganga mata

गंगा लहरी

स्तोत्र पाठ | Duration : 3 Hours
Price : ₹ 3599 onwards
Price Range: 3599 to 0

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