About Puja
नवीन वाहन पूजा का महत्व तब अधिक होता है जब हम किसी नए वाहन का क्रय (खरीदते) करते हैं। यह पूजा न केवल वाहन के स्वामी (मालिक) को मानसिक शांति और सुरक्षा प्रदान करती है, अपितु इसके साथ वाहन की दीर्घायु और दुर्घटनारहित वाहन के संचालन के लिए की जाती है। हिंदू धर्म में वाहन पूजा को विशेष महत्व दिया जाता है क्योंकि वाहन को भगवान के सदृश माना जाता है।
नवीन वाहन का क्रय करने के पश्चात् पूजा करके ही वाहन का प्रयोग करना चाहिये। क्रय (खरीदने) के पश्चात् नवीन वाहन की पूजा कराना अत्यंत आवश्यक होता है। हमारे धर्मशास्त्रों के अनुसार वाहन की पूजा करवाने से वाहन सम्बन्धित दोष तथा नजर आदि से सुरक्षा प्राप्त होती है। पूजा के प्रभाव से वाहन आदि से होने वाले कष्टों एवं कठिन परिस्थितियों का सामना मनुष्य को नहीं करना पड़ता है। ऐसा करने से वह वाहन सुख प्रदान करने वाला होता है। नवीन वाहन का क्रयण तथा पूजा शुभ मुहुर्त में ही करानी चाहिए। ऐसा करने से वह वाहन हमेशा शुभता का प्रतीक बना रहता है तथा अत्यंत कठिन परिस्थितियों से रक्षा करता है। नवीन वाहन पूजा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वाहन से जुड़ा प्रत्येक यात्रा का अनुभव सुखद, सुरक्षित और बिना किसी विघ्न के हो।
Process
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- पूजासङ्कल्प
- गणेश गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल पूजन
- रक्षाविधान,
- वाहन पूजा
Benefits
- सुरक्षा की प्राप्ति :- नवीन वाहन पूजा से वाहन दुर्घटनाओं और अन्य समस्याओं से सुरक्षा प्रदान होती है।
- आर्थिक समृद्धि :- यह पूजा वाहन मालिक को आर्थिक समृद्धि और सफलता का आशीर्वाद प्रदान करती है।
- पारिवारिक सुख-शांति :- पूजा से घर में सुख, समृद्धि और पारिवारिक शांति व्याप्त रहती है।
- नौकरी या व्यापार में सफलता :- वाहन पूजा से नौकरी और व्यापार में सफलता एवं उन्नति के मार्ग प्रशस्त होते हैं।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश :- इस पूजा से वाहन के आसपास की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, जिससे वाहन के क्षति होने की संभावनाएं कम हो जाती हैं ।
Puja Samagri
- रोली, सिन्दूर, अक्षत(चावल), हल्दी, इत्र, लौंग, इलायची, सुपारी, कलावा, धूपबत्ती, रुई या बत्ती, दीपक, कपूर, गंगाजल, माचिस, मिष्ठान, पुष्प (फूल)