About Puja
सीमन्तोन्नयन शब्द की उत्पत्ति सीमन्त तथा उन्नयन, इन दो शब्दों के योग से हुई है। अर्थ की दृष्टि से देखें तो सीमन्त का अर्थ स्त्री की मांग और उन्नयन अर्थात् उन्नत करना या उठाना । विवाह संस्कार सम्पादित करते समय सीमन्तभाग (मांग ) में ही सिन्दूर दान कराया जाता है । सीमन्त भाग अत्यंत मर्म (कोमल) होता है ,जब वर के द्वारा पवित्र सिंदूर से कन्या की मांग को भराया जाता है तो इस क्रिया से विशिष्ट भाव की उत्पत्ति होती है, जिससे जीवन में अखण्ड सौभाग्य एवं कल्याण की प्राप्ति होती है। इस संस्कार में पति (वर) द्वारा सीमन्त भाग का विभाजन किया जाता है, जिसका प्रभाव संतति (संतान) पर विशेष रूप से पड़ता है, इस दृष्टि से सीमन्तोन्नयन संस्कार का बहुत महत्व अत्यधिक हो जाता है । व्यास स्मृति के अनुसार छठे या आठवें माह में वैदिक विद्वानों के द्वारा यह संस्कार सम्पन्न कराना चाहिए। इस संस्कार से संतान के मस्तिष्क पर विशेष प्रभाव पड़ता है। सीमंतोन्नयन संस्कार, जिसे सामान्यत: "मंगल स्नान" या "मांगलिक पूजा" भी कहा जाता है, यह पूजा महिला और बच्चे के स्वास्थ्य और जीवन की लंबाई के लिए विशेष रूप से की जाती है। इस पूजा के दौरान गर्भवती महिला को आशीर्वाद देने के लिए विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है और देवी-देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हवन और पूजा की जाती है।
Process
सीमन्तोन्नयन संस्कार में प्रयोग होने वाली विधि:-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- पूजा-सङ्कल्प
- गणेश -गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान आदि
- पञ्चभूसंस्कार
- परिसमूहन,उपलेपन,उल्लेखन,उद्धरण,अभ्युक्षण या सेचन
- मङ्गल नामक अग्निस्थापन
- कुशकण्डिका
- आधार आहुति
- नवाहुति
- स्विष्टकृत् आहुति, मार्जन,पवित्रप्रतिपत्ति,पूर्णपात्र दान,प्रणीता विमोक,मार्जन,बर्हिहोम
Benefits
सीमंतोन्नयन संस्कार पूजा के कई लाभ होते हैं, जो गर्भवती महिला और उसके बच्चे के स्वास्थ्य से लेकर पूरे परिवार की समृद्धि तक फैले होते हैं। निम्नलिखित लाभ इस पूजा के मुख्य पहलू हैं:
- गर्भवती महिला और शिशु के स्वास्थ्य में सुधार ।
- संस्कारित और शांतिपूर्ण मानसिक स्थिति ।
- संतान सुख की प्राप्ति ।
- महिला के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में स्थिरता ।
- दीर्घायु और स्वस्थ जीवन के लिए आशीर्वाद ।
- गर्भवती महिला के लिए शारीरिक सुरक्षा और शांति ।
- शास्त्रविधि के माध्यम से सीमन्त (माँग )विभाजन से मस्तिष्क की शक्ति में वृद्धि होती है।
- अखंड सौभाग्य एवं कल्याण की प्राप्ति होती है।
- गर्भ में स्थित शिशु के मस्तिष्क की क्षमता का विकास होता है।
- इस संस्कार के प्रभाव से शिशु जन्म के पूर्व ही मध्यम स्वर से वैदिक ध्वनि तथा देव पूजन का स्पष्ट प्रभाव उस गर्भ में स्थित शिशु पर पड़ता है।
- इस संस्कार में शिशु को वीणा ध्वनि सुनाने का अत्यन्त माहात्म्य है।
Puja Samagri
- रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी, हल्दी, अबीर, गुलाल, अभ्रक, गङ्गाजल, गुलाबजल, इत्र, शहद, धूपबत्ती, रुईबत्ती, रुई, यज्ञोपवीत, पीला सरसों, देशी घी, कपूर, माचिस, जौ, दोना छोटा, पञ्चमेवा, अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला, चावल (छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती, हवन सामग्री, कमल गट्टा -21, घी, गुड़(बूरा या शक्कर), पानपत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद, हवन कुण्ड, नवग्रह समिधा, घृत पात्र, कुशा, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध -100ML, दही -50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार (आवश्यकतानुसार), दूर्वादल (घास) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार -2 kg, पुष्पमाला -5(विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव –2, थाली -2 , कटोरी -5 ,लोटा -2 , चम्मच -2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र -गमछा , धोती आदि, बैठने हेतु दरी, चादर, आसन ।