About Puja

कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनत्रयोदशी पर्व मनाया जाता है जिसे हम धनतेरस के नाम से भी जानते हैं । त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान् धन्वंतरिजी का प्रादुर्भाव हुआ जिस कारण हम कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनत्रयोदशी के नाम से जानते हैं। इस दिन सम्पूर्ण भारतवर्ष में श्रद्धापूर्वक भक्तिभाव से युक्त भगवान् धन्वन्तरि का पूजन एवं दीपदान किया जाता है।

भगवान् धन्वन्तरिजी को साक्षात् नारायण का अवतार माना जाता है। भगवान् नारायण के विभिन्न स्वरूप हैं जिनमें से एक धन्वन्तरि हैं। एक बार समस्त विश्व में असुरों का राज स्थापित हो गया था उस समय देवताओं को पराजित कर राजा बलि स्वर्गलोक के राजसिंहासन पर आरूढ़ हुए । यह सब देखकर सभी पराजित देवता भगवान् नारायण के पास जाते हैं और प्रार्थना करते हैं – हे प्रभु ! हम आपकी शरण में आये हैं कृपया कुछ उपाय कीजिये जिससे हमारी रक्षा हो और हमें पुनः स्वर्ग की प्रप्ति हो। देवताओं के इस प्रकार वचन सुनकर भगवान् विष्णु ने देवताओं से कहा कि जब आप समस्त देवता और असुरों के द्वारा समुद्र मंथन किया जायेगा तो उसके फलस्वरुप ही आप सभी का कल्याण होगा । 

देवता और दानवों (राक्षसों) ने मिलकर समुद्र मंथन किया जिसमें सर्वप्रथम हलाहल कालकूट विष निकला जिसका भगवान् शंकर ने पान किया। इसी प्रकार से चौदह रत्न (14)  निकले जो देवताओं और दानवों के मध्य वितरित किये गये इसके पश्चात् भगवान् नारायण धन्वंतरि स्वरूप में प्रकट हुए । जो हाथों में अमृत कलश धारण किये थे अतः इसी कार्तिक त्रयोदशी के दिन भगवान् धन्वंतरि का प्रदुर्भाव हुआ। भगवान् धन्वन्तरि को देवताओं के आयुर्वेद चिकित्सक के स्वरूप में भी जाना जाता है ।

धन त्रयोदशी पूजा का उद्देश्य धन, संपत्ति, और व्यापार में समृद्धि प्राप्त करना है। इस दिन लक्ष्मी माता और भगवान् कुबेर  की विशेष पूजा की जाती है। भगवान् कुबेर को धन के अधिष्ठाता के रूप में माना जाता है । इस दिन व्यापारियों के लेन-देन को भी शुभ माना जाता है और धन की वृद्ध‍ि के लिए यह विशेष पूजा की जाती है।

धन त्रयोदशी पूजा में व्यक्तिगत समृद्धि के अलावा, परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास भी होता है। पूजा करने से व्यक्ति को न केवल धन और संपत्ति प्राप्त होती है, अपितु इससे व्यापार और वित्तीय समस्याओं का समाधान भी होता है। इस पूजा के दौरान गणेश पूजा, कुबेर पूजन, और लक्ष्मी पूजन की प्रक्रिया सम्पूर्ण विधि से की जाती है।

Process

धन त्रयोदशी व्रत पूजा (धन्वन्तरी जयंती ) में  प्रयोग होने वाले विधि :-

  • स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  • पूजा सङ्कल्प
  • गणेश  गौरी पूजन
  • कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  • पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  • षोडशमातृका पूजन
  • सप्तघृतमातृका पूजन
  • आयुष्यमन्त्रपाठ
  • नवग्रह मण्डल पूजन
  • अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  • पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  • रक्षाविधान
  • प्रधान देवता पूजन
  • पाठ विधान
  • अभिषेक, उत्तर पूजन 
Benefits
  1. धन और समृद्धि की प्राप्ति :- पूजा से घर में धन का वास होता है और व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
  2. व्यापार में वृद्धि :- व्यवसाय में निरंतर सफलता और वृद्धि होती है, खासकर व्यापारियों और उद्यमियों के लिए यह पूजा लाभकारी सिद्ध होती है।
  3. धन संबंधी समस्याओं का समाधान :- जो लोग आर्थिक संकटों का सामना कर रहे हैं, उनके लिए यह पूजा विशेष रूप से कारगर साबित हो सकती है।
  4. नकारात्मकता से मुक्ति :- पूजा से घर और जीवन में नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  5. सुख-शांति का वास :- पूजा से घर में सुख और शांति का वास होता है, जिससे परिवार के सदस्यों के बीच सामंजस्य और प्रेम बढ़ता है।
  6. भगवान् धन्वन्तरि की पूजा से गृह सम्बन्धी दोषों से की निवृत्ति होती है।
  7. भगवान् धन्वन्तरी की पूजा करने से आयु में वृद्धि होती है।
  8. अकालमृत्यु दोष का शमन होता है ।
Puja Samagri

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस,
  • दोना , पञ्चमेवा  
  • गरी गोला 
  • चावल (छोटा वाला)
  • सप्तमृत्तिका 
  • सर्वोषधि 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच (स्व व्यवस्था) 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • कुशा
  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता – 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार – 1 kg
  • पुष्पमाला - 5 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • तुलसी पत्र -7
  • पानी वाला नारियल
  • पंजीरी, केला, पंचामृत
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 

हां, धन त्रयोदशी पूजा दीवाली के ठीक पहले होती है और इसका खास महत्व होता है। यह दिन धन, समृद्धि और व्यापार में सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

पूजा के समय व्रत रखना अनिवार्य नहीं है, लेकिन व्रत रखने से पूजा का महत्व बढ़ जाता है और उपासक को अधिक लाभ प्राप्त होता है।

हां, सनातन पर यह पूजा बुक करना बहुत सरल है। आप हमारी वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन पूजा का समय और पंडितजी का चयन कर सकते हैं।

हां, इस पूजा से व्यापार में सफलता, उन्नति और समृद्धि प्राप्त होती है।

हां, पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह लक्ष्मी माता और कुबेर देवता का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक तरीका है।

About Puja

कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनत्रयोदशी पर्व मनाया जाता है जिसे हम धनतेरस के नाम से भी जानते हैं । त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान् धन्वंतरिजी का प्रादुर्भाव हुआ जिस कारण हम कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनत्रयोदशी के नाम से जानते हैं। इस दिन सम्पूर्ण भारतवर्ष में श्रद्धापूर्वक भक्तिभाव से युक्त भगवान् धन्वन्तरि का पूजन एवं दीपदान किया जाता है।

भगवान् धन्वन्तरिजी को साक्षात् नारायण का अवतार माना जाता है। भगवान् नारायण के विभिन्न स्वरूप हैं जिनमें से एक धन्वन्तरि हैं। एक बार समस्त विश्व में असुरों का राज स्थापित हो गया था उस समय देवताओं को पराजित कर राजा बलि स्वर्गलोक के राजसिंहासन पर आरूढ़ हुए । यह सब देखकर सभी पराजित देवता भगवान् नारायण के पास जाते हैं और प्रार्थना करते हैं – हे प्रभु ! हम आपकी शरण में आये हैं कृपया कुछ उपाय कीजिये जिससे हमारी रक्षा हो और हमें पुनः स्वर्ग की प्रप्ति हो। देवताओं के इस प्रकार वचन सुनकर भगवान् विष्णु ने देवताओं से कहा कि जब आप समस्त देवता और असुरों के द्वारा समुद्र मंथन किया जायेगा तो उसके फलस्वरुप ही आप सभी का कल्याण होगा । 

देवता और दानवों (राक्षसों) ने मिलकर समुद्र मंथन किया जिसमें सर्वप्रथम हलाहल कालकूट विष निकला जिसका भगवान् शंकर ने पान किया। इसी प्रकार से चौदह रत्न (14)  निकले जो देवताओं और दानवों के मध्य वितरित किये गये इसके पश्चात् भगवान् नारायण धन्वंतरि स्वरूप में प्रकट हुए । जो हाथों में अमृत कलश धारण किये थे अतः इसी कार्तिक त्रयोदशी के दिन भगवान् धन्वंतरि का प्रदुर्भाव हुआ। भगवान् धन्वन्तरि को देवताओं के आयुर्वेद चिकित्सक के स्वरूप में भी जाना जाता है ।

धन त्रयोदशी पूजा का उद्देश्य धन, संपत्ति, और व्यापार में समृद्धि प्राप्त करना है। इस दिन लक्ष्मी माता और भगवान् कुबेर  की विशेष पूजा की जाती है। भगवान् कुबेर को धन के अधिष्ठाता के रूप में माना जाता है । इस दिन व्यापारियों के लेन-देन को भी शुभ माना जाता है और धन की वृद्ध‍ि के लिए यह विशेष पूजा की जाती है।

धन त्रयोदशी पूजा में व्यक्तिगत समृद्धि के अलावा, परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास भी होता है। पूजा करने से व्यक्ति को न केवल धन और संपत्ति प्राप्त होती है, अपितु इससे व्यापार और वित्तीय समस्याओं का समाधान भी होता है। इस पूजा के दौरान गणेश पूजा, कुबेर पूजन, और लक्ष्मी पूजन की प्रक्रिया सम्पूर्ण विधि से की जाती है।

Process

धन त्रयोदशी व्रत पूजा (धन्वन्तरी जयंती ) में  प्रयोग होने वाले विधि :-

  • स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  • पूजा सङ्कल्प
  • गणेश  गौरी पूजन
  • कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  • पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  • षोडशमातृका पूजन
  • सप्तघृतमातृका पूजन
  • आयुष्यमन्त्रपाठ
  • नवग्रह मण्डल पूजन
  • अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  • पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  • रक्षाविधान
  • प्रधान देवता पूजन
  • पाठ विधान
  • अभिषेक, उत्तर पूजन 
Benefits
  1. धन और समृद्धि की प्राप्ति :- पूजा से घर में धन का वास होता है और व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
  2. व्यापार में वृद्धि :- व्यवसाय में निरंतर सफलता और वृद्धि होती है, खासकर व्यापारियों और उद्यमियों के लिए यह पूजा लाभकारी सिद्ध होती है।
  3. धन संबंधी समस्याओं का समाधान :- जो लोग आर्थिक संकटों का सामना कर रहे हैं, उनके लिए यह पूजा विशेष रूप से कारगर साबित हो सकती है।
  4. नकारात्मकता से मुक्ति :- पूजा से घर और जीवन में नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  5. सुख-शांति का वास :- पूजा से घर में सुख और शांति का वास होता है, जिससे परिवार के सदस्यों के बीच सामंजस्य और प्रेम बढ़ता है।
  6. भगवान् धन्वन्तरि की पूजा से गृह सम्बन्धी दोषों से की निवृत्ति होती है।
  7. भगवान् धन्वन्तरी की पूजा करने से आयु में वृद्धि होती है।
  8. अकालमृत्यु दोष का शमन होता है ।

Puja Samagri

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस,
  • दोना , पञ्चमेवा  
  • गरी गोला 
  • चावल (छोटा वाला)
  • सप्तमृत्तिका 
  • सर्वोषधि 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच (स्व व्यवस्था) 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • कुशा
  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता – 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार – 1 kg
  • पुष्पमाला - 5 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • तुलसी पत्र -7
  • पानी वाला नारियल
  • पंजीरी, केला, पंचामृत
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 

हां, धन त्रयोदशी पूजा दीवाली के ठीक पहले होती है और इसका खास महत्व होता है। यह दिन धन, समृद्धि और व्यापार में सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

पूजा के समय व्रत रखना अनिवार्य नहीं है, लेकिन व्रत रखने से पूजा का महत्व बढ़ जाता है और उपासक को अधिक लाभ प्राप्त होता है।

हां, सनातन पर यह पूजा बुक करना बहुत सरल है। आप हमारी वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन पूजा का समय और पंडितजी का चयन कर सकते हैं।

हां, इस पूजा से व्यापार में सफलता, उन्नति और समृद्धि प्राप्त होती है।

हां, पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह लक्ष्मी माता और कुबेर देवता का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक तरीका है।
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धनत्रयोदशी व्रत पूजा (धन्वन्तरी जयंती )

व्रतोत्सव त्यौहार | Duration : 3 Hrs 30 min
Price : ₹ 3100 onwards
Price Range: 3100 to 5100

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