About Puja
नृसिंह भगवान् :- पुराणों के अनुसार भगवान् विष्णु के नृसिंह स्वरुप को भगवान् नृसिंह के रूप में स्वीकार किया जाता है। अर्थात् जिनका मुँखमण्डल और हस्त (हाथ) सिंह (शेर) के सदृश हैं तथा अन्य सभी अङ्ग मानव के सदृश हैं। वैष्णव सम्प्रदाय के द्वारा विशेष रूप से भगवान् नृसिंह की उपासना की जाती है। भगवान् ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के निमित्त खम्भ से प्रकट होकर हिरण्यकशिप का संहार किया और प्रह्लाद को अभयवर प्रदान किया। भगवान् सर्वदा विपत्ति के समय अपने भक्तों की सर्वतया रक्षा करते हैं।
राम, कृष्ण, नृसिंह और वामन ये अवतार भगवान् विष्णु के दस या चौबीस अवतारों में विशेष हैं, इसलिए आर्ष परम्परा में ये अवतार चार जयन्ती (जन्मोत्सव) सनातन धर्मावलम्बियों को विधिवत् एवं श्रद्धापूर्वक सम्पन्न करनी चाहिए।
भगवान् श्रीराम का सम्पूर्ण जीवनवृतान्त रामायण तथा रामचरित मानस में, भगवान् श्रीकृष्ण का सम्पूर्ण चरित्र भागवत् तथा महाभारत मे, भगवान् नृसिंह का चरित्र श्रीमद्भागवत् के सप्तम स्कन्ध में तथा भगवान् वामन का चरित्र वामन पुराण के साथ ही श्रीमद्भागवत् पुराण में भी प्राप्त होता है।
नृसिंह चतुर्दशी व्रत निर्णय एवं विधि - यह व्रत वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को किया जाता है। सूर्यास्त के समय यदि चतुर्दशी हो तो उस दिन को सर्वोत्तम मानना चाहिए। शनिवार और स्वाति नक्षत्र हो तो इस व्रत का अनन्त गुना फल प्राप्त होता है। विधि पूर्वक भगवान् नृसिंह के जन्मोत्सव पर विभिन्न देवताओं का पूजन तथा पञ्चामृत आदि से अभिषेक की अत्यंत महत्ता है।
Note :- भगवान् नृसिंह की पूजा अर्चना एवं व्रत किसी भी शुभ मास, मूहूर्त, दिन, लग्न आदि में वेदज्ञ ब्राह्मणों के द्वारा विधिपूर्वक सम्पन्न कराया जा सकता है।
Process
पूजन विधि एवं नृसिंह भगवान् का अभिषेक -
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- पूजा सङ्कल्प
- गणेश गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान,
- प्रधान देवता पूजन
- पाठ विधान
- अभिषेक, उत्तर पूजन
Benefits
- सभी शत्रुओं का नाश :- इस पूजा के प्रभाव से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और शत्रुओं से मुक्ति प्राप्त होती है।
- सामाजिक और मानसिक शांति :- भगवान् नृसिंह की पूजा से मानसिक शांति प्राप्त होती है तथा जीवन में सर्वविध संतुलन व्याप्त होता है।
- रोगों से मुक्ति :- यह पूजा शारीरिक और मानसिक समस्याओं के समाधान में भी सहायक है।
- आर्थिक समृद्धि :- व्यापार में उतरोत्तर वृद्धि होती है जिससे आर्थिक स्थिति में सुधार आता है तथा समृद्धि एवं खुशहाली का आगमन होता है।
- पाप मुक्ति :- नृसिंह पूजा से पूर्वजों के पापों की शांति होती है और व्यक्ति के जीवन में शुभता का वास होता है।
Puja Samagri
- रोली, कलावा
- सिन्दूर, लवङ्ग
- इलाइची, सुपारी
- हल्दी, अबीर
- गुलाल, अभ्रक
- गङ्गाजल, गुलाबजल
- इत्र, शहद
- धूपबत्ती, रुई
- यज्ञोपवीत, पीला सरसों
- देशी घी, कपूर
- माचिस,
- दोना , पञ्चमेवा
- गरी गोला
- चावल (छोटा वाला),
- सप्तमृत्तिका
- सर्वोषधि
- पीला कपड़ा सूती
हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-
- काला तिल
- चावल
- कमलगट्टा
- हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
- गुड़ (बूरा या शक्कर)
- हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच (स्व व्यवस्था)
- नवग्रह समिधा
- हवन समिधा
- कुशा
- वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1
- गाय का दूध - 100ML
- दही - 50ML
- मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार
- फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
- दूर्वादल (घास ) - 1मुठ
- पान का पत्ता – 07
- पुष्प विभिन्न प्रकार – 1 kg