About Puja

पवित्रता और समृद्धि की साधना"

सनातन परम्परा में प्रत्येक दिवस कोई न कोई व्रत,पर्व, उत्सव आवश्य होता है उन्हीं में से एक है हरतालिका व्रत भविष्योत्तर पुराण में इस व्रत विशेष का वर्णन प्राप्त होता है। इस व्रत को भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि  को किया जाता है जिसे हरतालिका व्रत या तीज के रूप में जाना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान् गणपति और माता पार्वती के आशीर्वाद से जुड़ा हुआ है। इस दिन महिलाएं विशेष रूप से पूजा करती हैं और अपने सुखी, समृद्ध जीवन के लिए माता पार्वती से आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। हरतालिका व्रत के दौरान व्रति माता पार्वती के विवाह के प्रसंग का स्मरण करती हैं और उनके साथ अपने घर-परिवार की सुख-शांति के लिए प्रार्थना करती हैं।

यह व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे वे अपने पति की दीर्घायु और खुशहाल जीवन के लिए करती हैं। सनातन  के साथ आप घर बैठे इस व्रत की पूजा को सम्पादित करवा सकते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। इस पूजा के माध्यम से आप देवी पार्वती से वरदान प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को धन्य बना सकते हैं।

हरतालिका व्रत का इतिहास बहुत प्राचीन है। इसे देवी पार्वती की पूजा के रूप में मनाया जाता है।जैसा की हम सभी जानते हैं की माता पार्वती भगवान् शिव की पत्नी हैं। पुराणों के अनुसार, इस व्रत का प्रारम्भ देवी पार्वती द्वारा भगवान्  शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए किया गया। देवी पार्वती ने कठोर तपस्या की इसके फलस्वरूप भगवान् शिव  उन्हें अपने स्वामी (पति) के रूप में प्राप्त हुए। इस व्रत को करने से न केवल सुहागिन महिलाओं का सुखमय जीवन सुनिश्चित होता है, बल्कि यह व्रत पारिवारिक सुख, स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी किया जाता है।

Process

हरितालिका व्रत पूजा  में प्रयोग होने वाली विधि  :-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. पूजा-सङ्कल्प
  3. गणेश गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पाठ विधान
Benefits

हरतालिका व्रत पूजा के अनगिनत लाभ होते हैं जो विशेष रूप से महिलाओं के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लेकर आते हैं। पूजा के निम्नलिखित लाभ हैं:

  1. पारिवारिक सुख :- हरतालिका व्रत से घर में सुख-शांति का वास होता है। परिवार में प्रेम और सौहार्द की भावना बढ़ती है।
  2. पति की दीर्घायु :- इस व्रत का मुख्य उद्देश्य पति की लंबी उम्र की कामना करना है। देवी पार्वती की पूजा करने से पति के जीवन में कोई भी संकट नहीं आता है।
  3. स्वास्थ्य लाभ :- हरतालिका व्रत के द्वारा भक्तों को शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है। यह व्रत स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने में मदद करता है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति :- इस व्रत के द्वारा भक्तों की आत्मिक उन्नति होती है। यह पूजा आत्मा को शुद्ध और जीवन को उत्तम बनाने का कार्य करती है।
  5. समृद्धि और धन लाभ :- इस व्रत को करने से घर में धन और ऐश्वर्य का वास होता है। देवी पार्वती की कृपा से आर्थिक संकट दूर होते हैं।
Puja Samagri
  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला)
  • सप्तमृत्तिका 
  • सर्वोषधि 
  • पीला कपड़ा सूती
  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता – 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 1 kg
  • पुष्पमाला - 4 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव – 2
  • तुलसी पत्र -7
  • थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि 
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • पानी वाला नारियल,
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  

यह व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है।

यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं के लिए है, लेकिन पुरुष भी इसे पूजा के रूप में कर सकते हैं।

हां, इस व्रत में उपवासी रहना अनिवार्य है। व्रति केवल फलाहार कर सकती हैं।

हां, सनातन पर पूजा बुक करना बहुत आसान है। आप हमारी वेबसाइट पर जाकर पूजा बुकिंग कर सकते हैं।

हां, प्रसाद का वितरण पूरे घर में शांति और सुख लाता है, और यह एक शुभ कार्य माना जाता है।

About Puja

पवित्रता और समृद्धि की साधना"

सनातन परम्परा में प्रत्येक दिवस कोई न कोई व्रत,पर्व, उत्सव आवश्य होता है उन्हीं में से एक है हरतालिका व्रत भविष्योत्तर पुराण में इस व्रत विशेष का वर्णन प्राप्त होता है। इस व्रत को भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि  को किया जाता है जिसे हरतालिका व्रत या तीज के रूप में जाना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान् गणपति और माता पार्वती के आशीर्वाद से जुड़ा हुआ है। इस दिन महिलाएं विशेष रूप से पूजा करती हैं और अपने सुखी, समृद्ध जीवन के लिए माता पार्वती से आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। हरतालिका व्रत के दौरान व्रति माता पार्वती के विवाह के प्रसंग का स्मरण करती हैं और उनके साथ अपने घर-परिवार की सुख-शांति के लिए प्रार्थना करती हैं।

यह व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे वे अपने पति की दीर्घायु और खुशहाल जीवन के लिए करती हैं। सनातन  के साथ आप घर बैठे इस व्रत की पूजा को सम्पादित करवा सकते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। इस पूजा के माध्यम से आप देवी पार्वती से वरदान प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को धन्य बना सकते हैं।

हरतालिका व्रत का इतिहास बहुत प्राचीन है। इसे देवी पार्वती की पूजा के रूप में मनाया जाता है।जैसा की हम सभी जानते हैं की माता पार्वती भगवान् शिव की पत्नी हैं। पुराणों के अनुसार, इस व्रत का प्रारम्भ देवी पार्वती द्वारा भगवान्  शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए किया गया। देवी पार्वती ने कठोर तपस्या की इसके फलस्वरूप भगवान् शिव  उन्हें अपने स्वामी (पति) के रूप में प्राप्त हुए। इस व्रत को करने से न केवल सुहागिन महिलाओं का सुखमय जीवन सुनिश्चित होता है, बल्कि यह व्रत पारिवारिक सुख, स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी किया जाता है।

Process

हरितालिका व्रत पूजा  में प्रयोग होने वाली विधि  :-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. पूजा-सङ्कल्प
  3. गणेश गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पाठ विधान
Benefits

हरतालिका व्रत पूजा के अनगिनत लाभ होते हैं जो विशेष रूप से महिलाओं के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लेकर आते हैं। पूजा के निम्नलिखित लाभ हैं:

  1. पारिवारिक सुख :- हरतालिका व्रत से घर में सुख-शांति का वास होता है। परिवार में प्रेम और सौहार्द की भावना बढ़ती है।
  2. पति की दीर्घायु :- इस व्रत का मुख्य उद्देश्य पति की लंबी उम्र की कामना करना है। देवी पार्वती की पूजा करने से पति के जीवन में कोई भी संकट नहीं आता है।
  3. स्वास्थ्य लाभ :- हरतालिका व्रत के द्वारा भक्तों को शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है। यह व्रत स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने में मदद करता है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति :- इस व्रत के द्वारा भक्तों की आत्मिक उन्नति होती है। यह पूजा आत्मा को शुद्ध और जीवन को उत्तम बनाने का कार्य करती है।
  5. समृद्धि और धन लाभ :- इस व्रत को करने से घर में धन और ऐश्वर्य का वास होता है। देवी पार्वती की कृपा से आर्थिक संकट दूर होते हैं।

Puja Samagri
  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला)
  • सप्तमृत्तिका 
  • सर्वोषधि 
  • पीला कपड़ा सूती
  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता – 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 1 kg
  • पुष्पमाला - 4 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव – 2
  • तुलसी पत्र -7
  • थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि 
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • पानी वाला नारियल,
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  

यह व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है।

यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं के लिए है, लेकिन पुरुष भी इसे पूजा के रूप में कर सकते हैं।

हां, इस व्रत में उपवासी रहना अनिवार्य है। व्रति केवल फलाहार कर सकती हैं।

हां, सनातन पर पूजा बुक करना बहुत आसान है। आप हमारी वेबसाइट पर जाकर पूजा बुकिंग कर सकते हैं।

हां, प्रसाद का वितरण पूरे घर में शांति और सुख लाता है, और यह एक शुभ कार्य माना जाता है।
हरितालिका व्रत

हरतालिका व्रत पूजा

व्रतोत्सव त्यौहार | Duration : 3 Hrs 30 min
Price : ₹ 3100 onwards
Price Range: 3100 to 0

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