About Puja

सभी देवताओं में सर्वप्रथम भगवान् गणेश पूजनीय,वन्दनीय, स्मरणीय एवं अर्चनीय हैं इसलिए सनातनीय परम्परा में इनकी उपासना का विशेष महत्त्व है। सम्पूर्ण भारतवर्ष में सिद्धि विनायाक व्रत भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन व्रत करते समय मध्यान्हकाल युक्त तिथि ग्रहण करनी चाहिए। आचार्य बृहस्पति वर्णन करते हैं -“मध्याह्न व्यापिनी सा तु परतश्चेत् परेऽहनि” अर्थात् गणेशव्रत में तृतीया विद्धा चतुर्थी तिथि उत्तम होती है।

शिवपुराण में रुद्रसंहिता के अन्तर्गत् कुमारखण्ड में भगवान् गणेश की उत्पत्ति की कथा प्राप्त होती है। भगवान् शिव द्वारा गणेश को सभी में अध्यक्ष पद प्रदान किया गया। विशेषरूप से चतुर्थी तिथि के दिन वैदिक विधि से ब्राह्मणों द्वारा कराया गया गणेश अर्चन अथवा दान, स्नान उपवास आदि गणपति प्रसाद से सौ गुना फल प्रदान करने वाला होता है-

ऐसा उल्लेख हमें व्रतराजग्रन्थ में प्राप्त होता है -

“तस्यांस्नानंतथादानंउपवासोऽर्चनंतथा।
  क्रियमाणं शतगुणं प्रसादान्तिनो नृप”।।

भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को चन्द्र दर्शन नहीं करना चाहिए, चन्द्र दर्शन करने से मिथ्या दोष की प्राप्ति होती है, और यदि अज्ञानवश चन्द्र दर्शन हो जाए तो श्रीविष्णुमहापुराण या भागवत् महापुराण का स्यमन्तकोपाख्यान अवश्य पढ़ना या सुनना चाहिए।

सिद्धि विनायक व्रत पूजा का उद्देश्य भगवान् गणेश से सफलता, धन, समृद्धि, मानसिक शांति, और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सिद्धि प्राप्त करना है। यह व्रत पूजा भक्तों को न केवल आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है, अपितु उनके जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आ रहे विघ्नों का नाश और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

भगवान् गणेश के आशीर्वाद से कार्य, व्यापार, शिक्षा, विवाह, परिवार, और समाज में सफलता प्राप्त होती है। व्रत के माध्यम से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और हर प्रकार की विघ्न-बाधाओं का नाश होता है।

Process

गणेशोत्सव सिद्धिविनायक में प्रयोग होने वाली विधि :-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पाठ विधान
  16. विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
  17. ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
  18. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  21. भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  22. संस्रवप्राश , मार्जन, पूर्णपात्र दान
  23. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  24. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन

Benefits

सिद्धि विनायक व्रत पूजा के अनेक लाभ हैं, जो व्यक्ति के जीवन को समृद्ध, सुखी और शांतिपूर्ण बनाते हैं। निम्नलिखित लाभ इस पूजा से प्राप्त होते हैं :-

  • विघ्नों का नाश :- भगवान् गणेश की कृपा से जीवन में आने वाली सभी विघ्न-बाधाएं समाप्त होती हैं।
  • व्यक्तिगत सफलता :- यह पूजा व्यक्ति को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करती है।
  • धन और समृद्धि की प्राप्ति :- इस पूजा के प्रभाव से धन, संपत्ति और समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • मानसिक शांति :- भगवान् गणेश की पूजा से मानसिक शांति और संतुलन की प्राप्ति होती है।
  • कष्टों से मुक्ति :- पूजा से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की कठिनाइयों और कष्टों का नाश होता है।
  • रोगों का शमन :- इस पूजा से शारीरिक और मानसिक रोगों से भी राहत मिलती है।
  • परिवार में सुख-शांति :- पूजा से परिवार में प्रेम, सौहार्द और समृद्धि का वास होता है।
  • मनोरथ प्राप्ति :- इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी मनोरथ सम्पूर्ण होते हैं ।
  • अष्ट सिद्धि प्राप्त :- अष्ट सिद्धियों की प्राप्ति के लिए यह व्रत सर्वोत्तम है।
Puja Samagri
  • साइज,पञ्चमेवा 
  • गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला),
  • सप्तमृत्तिका 
  • सर्वोषधि 
  • पीला कपड़ा सूती,

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) 
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • कुशा
  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता – 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला – 5 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव – 2
  • तुलसी पत्र -7
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • पानी वाला नारियल
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  

नहीं, इस पूजा को किसी भी मंगलवार या किसी भी दिन किया जा सकता है। लेकिन “गणेश चतुर्थी” पर यह पूजा विशेष महत्व रखती है।

जी हां, सनातन के माध्यम से आप घर बैठे ही पूजा करवा सकते हैं। हमारे प्रमाणित पंडितजी आपकी पूजा विधिपूर्वक सम्पादित करेंगे।

जी हां, व्रत के दौरान उपवासी रहकर फलाहार किया जाता है।

हां, इस पूजा से भगवान् गणेश की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि लाती है।

हां, सिद्धि विनायक व्रत पूजा से भगवान् गणेश का आशीर्वाद मिलने से जीवन में धन, संपत्ति और समृद्धि में वृद्धि होती है।

About Puja

सभी देवताओं में सर्वप्रथम भगवान् गणेश पूजनीय,वन्दनीय, स्मरणीय एवं अर्चनीय हैं इसलिए सनातनीय परम्परा में इनकी उपासना का विशेष महत्त्व है। सम्पूर्ण भारतवर्ष में सिद्धि विनायाक व्रत भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन व्रत करते समय मध्यान्हकाल युक्त तिथि ग्रहण करनी चाहिए। आचार्य बृहस्पति वर्णन करते हैं -“मध्याह्न व्यापिनी सा तु परतश्चेत् परेऽहनि” अर्थात् गणेशव्रत में तृतीया विद्धा चतुर्थी तिथि उत्तम होती है।

शिवपुराण में रुद्रसंहिता के अन्तर्गत् कुमारखण्ड में भगवान् गणेश की उत्पत्ति की कथा प्राप्त होती है। भगवान् शिव द्वारा गणेश को सभी में अध्यक्ष पद प्रदान किया गया। विशेषरूप से चतुर्थी तिथि के दिन वैदिक विधि से ब्राह्मणों द्वारा कराया गया गणेश अर्चन अथवा दान, स्नान उपवास आदि गणपति प्रसाद से सौ गुना फल प्रदान करने वाला होता है-

ऐसा उल्लेख हमें व्रतराजग्रन्थ में प्राप्त होता है -

“तस्यांस्नानंतथादानंउपवासोऽर्चनंतथा।
  क्रियमाणं शतगुणं प्रसादान्तिनो नृप”।।

भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को चन्द्र दर्शन नहीं करना चाहिए, चन्द्र दर्शन करने से मिथ्या दोष की प्राप्ति होती है, और यदि अज्ञानवश चन्द्र दर्शन हो जाए तो श्रीविष्णुमहापुराण या भागवत् महापुराण का स्यमन्तकोपाख्यान अवश्य पढ़ना या सुनना चाहिए।

सिद्धि विनायक व्रत पूजा का उद्देश्य भगवान् गणेश से सफलता, धन, समृद्धि, मानसिक शांति, और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सिद्धि प्राप्त करना है। यह व्रत पूजा भक्तों को न केवल आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है, अपितु उनके जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आ रहे विघ्नों का नाश और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

भगवान् गणेश के आशीर्वाद से कार्य, व्यापार, शिक्षा, विवाह, परिवार, और समाज में सफलता प्राप्त होती है। व्रत के माध्यम से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और हर प्रकार की विघ्न-बाधाओं का नाश होता है।

Process

गणेशोत्सव सिद्धिविनायक में प्रयोग होने वाली विधि :-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पाठ विधान
  16. विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
  17. ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
  18. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  21. भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  22. संस्रवप्राश , मार्जन, पूर्णपात्र दान
  23. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  24. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन

Benefits

सिद्धि विनायक व्रत पूजा के अनेक लाभ हैं, जो व्यक्ति के जीवन को समृद्ध, सुखी और शांतिपूर्ण बनाते हैं। निम्नलिखित लाभ इस पूजा से प्राप्त होते हैं :-

  • विघ्नों का नाश :- भगवान् गणेश की कृपा से जीवन में आने वाली सभी विघ्न-बाधाएं समाप्त होती हैं।
  • व्यक्तिगत सफलता :- यह पूजा व्यक्ति को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करती है।
  • धन और समृद्धि की प्राप्ति :- इस पूजा के प्रभाव से धन, संपत्ति और समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • मानसिक शांति :- भगवान् गणेश की पूजा से मानसिक शांति और संतुलन की प्राप्ति होती है।
  • कष्टों से मुक्ति :- पूजा से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की कठिनाइयों और कष्टों का नाश होता है।
  • रोगों का शमन :- इस पूजा से शारीरिक और मानसिक रोगों से भी राहत मिलती है।
  • परिवार में सुख-शांति :- पूजा से परिवार में प्रेम, सौहार्द और समृद्धि का वास होता है।
  • मनोरथ प्राप्ति :- इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी मनोरथ सम्पूर्ण होते हैं ।
  • अष्ट सिद्धि प्राप्त :- अष्ट सिद्धियों की प्राप्ति के लिए यह व्रत सर्वोत्तम है।

Puja Samagri
  • साइज,पञ्चमेवा 
  • गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला),
  • सप्तमृत्तिका 
  • सर्वोषधि 
  • पीला कपड़ा सूती,

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) 
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • कुशा
  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता – 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला – 5 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव – 2
  • तुलसी पत्र -7
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • पानी वाला नारियल
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  

नहीं, इस पूजा को किसी भी मंगलवार या किसी भी दिन किया जा सकता है। लेकिन “गणेश चतुर्थी” पर यह पूजा विशेष महत्व रखती है।

जी हां, सनातन के माध्यम से आप घर बैठे ही पूजा करवा सकते हैं। हमारे प्रमाणित पंडितजी आपकी पूजा विधिपूर्वक सम्पादित करेंगे।

जी हां, व्रत के दौरान उपवासी रहकर फलाहार किया जाता है।

हां, इस पूजा से भगवान् गणेश की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि लाती है।

हां, सिद्धि विनायक व्रत पूजा से भगवान् गणेश का आशीर्वाद मिलने से जीवन में धन, संपत्ति और समृद्धि में वृद्धि होती है।
श्री गणेशोत्सव

श्री गणेशोत्सव (सिद्धिविनायक व्रत)

व्रतोत्सव त्यौहार | Duration : 3 Hrs 30 min
Price : ₹ 3100 onwards
Price Range: 3100 to 0

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