About Puja

विवाह संस्कार के संपादन में विभिन्न शास्त्रोक्त विधियाँ संपन्न की जाती हैं । इन सभी उपाङ्ग क्रियाओं का उद्देश्य यही होता है की विवाह के पश्चात् वर एवं वधू का दाम्पत्य जीवन सुख समृद्धि पूर्ण हो एवं वैदिक विधि के माध्यम से सामाजिक परम्पराओं एवं का संरक्षण किया जा सके । भोज्य एवं धर्म सम्बन्धी क्रियाओं में भी हरिद्रा अर्थात् हल्दी का विशेष महत्त्व है। विवाह संस्कार के संपादन से पूर्व अर्थात् पहले वर एवं कन्या के घर हल्दी लेपन (हरिद्रा संस्कार) विधिपूर्वक ब्राह्मणों के द्वारा संपन्न कराया जाता है। हरिद्रालेपन संस्कार के अंतर्गत् वर एवं कन्या अपने घर में सभी देवताओं का आवाहन करते हैं। शास्त्रानुसार वर एवं वधू हल्दी और तेल को मिश्रित कर भगवान् गणेश के साथ एनी देवी-देवताओं को भी अर्पित करते हैं। इस पद्धति के माध्यम से देवताओं से यह प्रार्थना की जाती है की हमारा यह सम्पूर्ण संस्कार निर्विघ्न सम्पूर्ण हो एवं सभी का आशीर्वाद हमें प्राप्त हो ।   

Process

हरिद्रा लेपन (हल्दी सरेमनी) संस्कार में प्रयोग होने वाली विधि :-

  1. मण्डपस्थापन
  2. हरिद्रालेपन तथा कंकण बन्धन (षड् ‌विनायक पूजन) 
  3. दक्षिणा सङ्कल्प एवं भोजन सङ्कल्प 
  4. स्वस्तिवाचन गणेशस्मरण एवं  पूजन 
  5. प्रायश्चितसङ्कल्प (रजोदर्शन दोष परिहार सङ्कल्प )कन्या का
  6. प्रायश्चित सङ्कल्प (अतीत संस्कारजन्य दोष परिहार सङ्कल्प ) वर का
  7. पञ्चाङ्ग पूजन प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  8. गणेशाम्बिका पूजन
  9. कलशस्थापन, पुण्याहवाचन, नवग्रह पूजन, मातृकापूजन  वसोर्धारा पूजन, आयुष्य मन्त्र जप, नान्दीश्राद्ध अभिषेक आदि
  10. लोकाचार (मातृभाण्डस्थापन एवं मातृका पूजन) कोहबर में द्वारमातृका पूजन
  11. षोडश मातृका स्थापन एवं पूजन, सप्तघृतमातृका पूजन, घृतधाराकरण

 टिप्पणी :- विवाह से पूर्व कन्या और वर के यहां मण्डप में ये पूजन होते हैं।

Benefits
  1. आर्थिक संकटों से मुक्ति :
    इस संस्कार को संपन्न करने से वर एवं वधू के जीवन में धन सम्बन्धी कष्ट नहीं आते हैं तथा धन की देवी माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
  2. सौंदर्य में वृद्धि :-
    हल्दी का लेपन करने से वर एवं वधू तनाव मुक्त होते हैं तथा शारीरिक सौन्दर्य में वृद्धि होती है
  3. नकारात्मक शक्ति से मुक्ति  :
    भारतीय परम्पराओं के अनुसार हल्दी सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक होती है इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर यह संस्कार संपन्न किया जाता है
  4. ज्ञानात्मक ऊर्जा के संचार हेतु :
    हल्दी संस्कार के लेपन एवं सेवन से वर एवं वधू में ज्ञानात्मक ऊर्जा का संचार होता है
  5. नजर दोष रक्षा :
    इस संस्कार के प्रभाव से वार एवं वधू की नजरदोष से रक्षा होती है
  6. आरोग्यता प्राप्ति :- संस्कार के प्रभाव से वर एवं वधू आरोग्यता को प्राप्त होते हैं
Puja Samagri

रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी , हल्दी, अबीर ,गुलाल, अभ्रक ,गङ्गाजल, गुलाबजल ,इत्र, शहद ,धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई ,यज्ञोपवीत, पीला सरसों ,देशी घी, कपूर ,माचिस, जौ ,दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा , सफेद चन्दन, लाल चन्दन ,अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला ,चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती,काला तिल, चावल, कमलगट्टा,हवन सामग्री, घी,गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद , हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच , नवग्रह समिधा, हवन समिधा , घृत पात्र, कुश, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला -5( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि , बैठने हेतु दरी,चादर,आसन , गोदुग्ध,गोदधि

जी हां, आप Sanatan के माध्यम से हरिद्रालेपन संस्कार पूजा ऑनलाइन बुक कर सकते हैं। हम आपको प्रमाणित पंडितों की सेवा प्रदान करते हैं।

हां, इस पूजा में वर के माता-पिता के साथ अन्य पारिवारिकजन भी भाग ले सकते हैं।

हां, पूजा में शुद्ध और पवित्र वस्त्र पहनने की सलाह दी जाती है। जिससे पूजा के समय पूर्ण शुद्धता का पालन हो ।

पूजा के बाद हल्का और पौष्टिक आहार लिया ग्रहण किया जा सकता है।

जी हां, हल्दी का लेप वर-वधू के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होता है तथा शुद्धता और सौंदर्य के लिए भी उपयोगी है।

About Puja

विवाह संस्कार के संपादन में विभिन्न शास्त्रोक्त विधियाँ संपन्न की जाती हैं । इन सभी उपाङ्ग क्रियाओं का उद्देश्य यही होता है की विवाह के पश्चात् वर एवं वधू का दाम्पत्य जीवन सुख समृद्धि पूर्ण हो एवं वैदिक विधि के माध्यम से सामाजिक परम्पराओं एवं का संरक्षण किया जा सके । भोज्य एवं धर्म सम्बन्धी क्रियाओं में भी हरिद्रा अर्थात् हल्दी का विशेष महत्त्व है। विवाह संस्कार के संपादन से पूर्व अर्थात् पहले वर एवं कन्या के घर हल्दी लेपन (हरिद्रा संस्कार) विधिपूर्वक ब्राह्मणों के द्वारा संपन्न कराया जाता है। हरिद्रालेपन संस्कार के अंतर्गत् वर एवं कन्या अपने घर में सभी देवताओं का आवाहन करते हैं। शास्त्रानुसार वर एवं वधू हल्दी और तेल को मिश्रित कर भगवान् गणेश के साथ एनी देवी-देवताओं को भी अर्पित करते हैं। इस पद्धति के माध्यम से देवताओं से यह प्रार्थना की जाती है की हमारा यह सम्पूर्ण संस्कार निर्विघ्न सम्पूर्ण हो एवं सभी का आशीर्वाद हमें प्राप्त हो ।   

Process

हरिद्रा लेपन (हल्दी सरेमनी) संस्कार में प्रयोग होने वाली विधि :-

  1. मण्डपस्थापन
  2. हरिद्रालेपन तथा कंकण बन्धन (षड् ‌विनायक पूजन) 
  3. दक्षिणा सङ्कल्प एवं भोजन सङ्कल्प 
  4. स्वस्तिवाचन गणेशस्मरण एवं  पूजन 
  5. प्रायश्चितसङ्कल्प (रजोदर्शन दोष परिहार सङ्कल्प )कन्या का
  6. प्रायश्चित सङ्कल्प (अतीत संस्कारजन्य दोष परिहार सङ्कल्प ) वर का
  7. पञ्चाङ्ग पूजन प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  8. गणेशाम्बिका पूजन
  9. कलशस्थापन, पुण्याहवाचन, नवग्रह पूजन, मातृकापूजन  वसोर्धारा पूजन, आयुष्य मन्त्र जप, नान्दीश्राद्ध अभिषेक आदि
  10. लोकाचार (मातृभाण्डस्थापन एवं मातृका पूजन) कोहबर में द्वारमातृका पूजन
  11. षोडश मातृका स्थापन एवं पूजन, सप्तघृतमातृका पूजन, घृतधाराकरण

 टिप्पणी :- विवाह से पूर्व कन्या और वर के यहां मण्डप में ये पूजन होते हैं।

Benefits
  1. आर्थिक संकटों से मुक्ति :
    इस संस्कार को संपन्न करने से वर एवं वधू के जीवन में धन सम्बन्धी कष्ट नहीं आते हैं तथा धन की देवी माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
  2. सौंदर्य में वृद्धि :-
    हल्दी का लेपन करने से वर एवं वधू तनाव मुक्त होते हैं तथा शारीरिक सौन्दर्य में वृद्धि होती है
  3. नकारात्मक शक्ति से मुक्ति  :
    भारतीय परम्पराओं के अनुसार हल्दी सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक होती है इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर यह संस्कार संपन्न किया जाता है
  4. ज्ञानात्मक ऊर्जा के संचार हेतु :
    हल्दी संस्कार के लेपन एवं सेवन से वर एवं वधू में ज्ञानात्मक ऊर्जा का संचार होता है
  5. नजर दोष रक्षा :
    इस संस्कार के प्रभाव से वार एवं वधू की नजरदोष से रक्षा होती है
  6. आरोग्यता प्राप्ति :- संस्कार के प्रभाव से वर एवं वधू आरोग्यता को प्राप्त होते हैं

Puja Samagri

रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी , हल्दी, अबीर ,गुलाल, अभ्रक ,गङ्गाजल, गुलाबजल ,इत्र, शहद ,धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई ,यज्ञोपवीत, पीला सरसों ,देशी घी, कपूर ,माचिस, जौ ,दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा , सफेद चन्दन, लाल चन्दन ,अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला ,चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती,काला तिल, चावल, कमलगट्टा,हवन सामग्री, घी,गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद , हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच , नवग्रह समिधा, हवन समिधा , घृत पात्र, कुश, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला -5( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि , बैठने हेतु दरी,चादर,आसन , गोदुग्ध,गोदधि

जी हां, आप Sanatan के माध्यम से हरिद्रालेपन संस्कार पूजा ऑनलाइन बुक कर सकते हैं। हम आपको प्रमाणित पंडितों की सेवा प्रदान करते हैं।

हां, इस पूजा में वर के माता-पिता के साथ अन्य पारिवारिकजन भी भाग ले सकते हैं।

हां, पूजा में शुद्ध और पवित्र वस्त्र पहनने की सलाह दी जाती है। जिससे पूजा के समय पूर्ण शुद्धता का पालन हो ।

पूजा के बाद हल्का और पौष्टिक आहार लिया ग्रहण किया जा सकता है।

जी हां, हल्दी का लेप वर-वधू के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होता है तथा शुद्धता और सौंदर्य के लिए भी उपयोगी है।
हरिद्रा लेप

हरिद्रा लेपन संस्कार (हल्दी सरेमनी) पूजा

संस्कार | Duration : 2 Hrs 30 min
Price : ₹ 3100 onwards
Price Range: 3100 to 6000

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