About Puja
तिलकोत्सव संस्कार अत्यंत परमपवित्र और पारंपरिक अनुष्ठान(पूजा,संस्कार ) है। तिलकोत्सव संस्कार वरपक्ष के यहाँ कन्यापक्ष के सभी सम्बन्धीजनों द्वारा सम्पादित किया जाता है। इस दिव्य भव्य उत्सव में कन्यापक्ष के लोग वरपक्ष के घर जाते हैं, तथा वरपक्ष के लोगों के साथ ही वर के लिए उपहारस्वरुप मिष्ठान, फल, फूल, नारियल, कलश, पान(ताम्बूल) इत्यादि विभिन्न प्रकार की सामग्री लेकर जाते हैं। वरपक्ष में भी सभी सम्बधीजन उपस्थित रहते है। दोनों पक्षों (कन्या एवं वर पक्ष) के सम्बन्धीजनों की उपस्थिति में कन्या का भ्राता (भाई) या पिता के द्वारा नारायण स्वरुप वर का तिलककरण किया जाता है जिसे हम तिलकोत्सव संस्कार के नाम से जानते हैं।
संस्कार से पूर्व आचार्य (वैदिक ब्राह्मण) के द्वारा स्वस्तिवाचन, मङ्गलश्लोकपाठ, गणपतिगौरी पूजन, वरुणादि देवताओं का पूजन, नवग्रहस्मरण आदि संपन्न कराया जाता है, इसके अनन्तर कन्या के भाई द्वारा वर का पादप्रक्षालन कराकर तिलक कराया जाता है तथा तम्बूलदान(पान) के साथ ही माला अर्पित की जाती है। तिलक होने के पश्चात् दोनों पक्षों में विवाह संस्कार उत्सव की ख़ुशी दृढतापूर्वक सुनिश्चित हो जाती है। परस्पर एक दूसरे से मिलना तथा वस्तुओं का आदान प्रदान होता है। इस प्रकार तिलकोत्सव संस्कार संपन्न कराया है। पूजा के माध्यम से वर और वधूपक्ष के भविष्य के प्रति लिए मंगलकामनाएं की जाती हैं। यह संस्कार परिवार और समाज में खुशी एवं समृद्धि की भावना का प्रसार करता है।
इस पूजा के दौरान तिलक, वरमाला और अन्य शुभ प्रतीकों के माध्यम से जीवन में सुख-शांति की कामना की जाती है। इसके साथ ही, यह संस्कार संतान सुख, परिवार की समृद्धि, और धार्मिक जिम्मेदारियों की शुरुआत का भी शुभ संकेतक होता है।
Process
विवाह संस्कार के अन्तर्गत् तिलक (सगाई) में प्रयोग होने वाली विधि:-
- मङ्गल मन्त्रपाठ
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- वरवृत्तिग्रहण सङ्कल्प
- गणेशाम्बिका पूजन
- कलश स्थापन, षोडशमातृका
- सप्तघृत मातृका,नवग्रह आदि
- देवताओं का आवाहन एवं पूजन
- वरपूजन (पाद प्रक्षालन, तिलककरण, माल्यार्पण)
- वरवरण सङ्कल्प
- दक्षिणादान, ब्राह्मण भोजन
- विसर्जन, भगवत् स्मरण
Benefits
तिलकोत्सव संस्कार पूजा के निम्नलिखित लाभ होते हैं:
- विवाह के शुभारंभ के लिए आशीर्वाद :
इस पूजा से विवाह के शुभारम्भ के लिए आशीर्वाद प्राप्त होता है और यह व्यक्ति को एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। - समृद्धि और खुशहाली :-
पूजा के द्वारा व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और खुशहाली का संचार होता है। यह पूजा व्यक्ति के भविष्य के लिए अच्छे परिणामों की कामना करती है। - धार्मिक जागरूकता :
इस संस्कार से व्यक्ति में धार्मिक जागरूकता बढ़ती है, जिससे उसका मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है। - संस्कारों की शुरुआत :-
तिलकोत्सव संस्कार, व्यक्ति के जीवन में धार्मिक और सामाजिक संस्कारों की शुरुआत का प्रतीक है, जो उसे समाज में आदर्श नागरिक बनने के लिए प्रेरित करता है। - परिवार और समाज में खुशी :-
यह संस्कार परिवार और समाज में खुशी और सौहार्द की भावना का प्रसार करता है, जिससे रिश्तों में गहराई और प्रेम बढ़ता है।
Puja Samagri
रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी , हल्दी, अबीर ,गुलाल, अभ्रक ,गङ्गाजल, गुलाबजल ,इत्र, शहद ,धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई ,यज्ञोपवीत, पीला सरसों ,देशी घी, कपूर ,माचिस, जौ ,दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा , सफेद चन्दन, लाल चन्दन ,अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला ,चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती,काला तिल, चावल, कमलगट्टा,हवन सामग्री, घी,गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद , हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच , नवग्रह समिधा, हवन समिधा , घृत पात्र, कुश, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला -5( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा , धोती आदि , बैठने हेतु दरी,चादर,आसन , गोदुग्ध,गोदधि ।