About Puja
"अभ्युदय" अर्थात् सफलता, उन्नति, उत्कर्ष, उत्थान एवं समृद्धि । अभ्युदय सूक्त का उल्लेख अथर्ववेद के उत्तरार्ध भाग के 17 वें काण्ड में वर्णित है। इस सूक्त के ऋषि ब्रह्मा तथा देवता आदित्य हैं। इस सूक्त स्तुति के मध्यम से उपासक परमपिता परमेश्वर से अपनी एवं परिवारीजनों के लिए दीर्घायु, सर्वप्रियता, सुमति, सुख, तेज, ज्ञान, बल, पवित्र वाणी, प्राणशक्ति, सर्वत्र अनुकूलता, आदि तथा लौकिक एवं पारलौकिक सम्पदाओं की प्राप्ति के लिए वेद भगवान् से प्रार्थना करता है, अतः उत्त्थान एवं आत्मकल्याण के लिए इस सूक्त का विशेष पाठ किया जाता है।
इस सूक्त का पाठ विशेष रूप से व्यापार में सफलता, परिवार में समृद्धि, मानसिक शांति और आत्मविकास के लिए किया जाता है। यह सूक्त न केवल व्यक्ति को भौतिक लाभ प्रदान करता है, बल्कि यह आध्यात्मिक और मानसिक संतुलन भी स्थापित करता है, जिससे जीवन में शांति बनी रहती है।
Process
अभ्युदयसूक्त पाठ में प्रयोग विधि :-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल, दशदिक्पाल, वास्तुपुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान
- प्रधान देवता पूजन
- पंचभूसंस्कार
- अग्नि स्थापन
- ब्रह्मा वरण
- कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति
- मूलमन्त्र आहुति
- चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति
- स्विष्टकृत आहुति
- पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राशन
- मार्जन
- पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक
- मार्जन
- बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन आदि
Benefits
- सौभाग्य प्राप्ति हेतु :- इस सूक्त पाठ के प्रभाव से मनुष्य को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- अवरुद्ध धन प्राप्ति :- यदि किसी कारण धन आगमन का मार्ग अवरुद्ध हो रहा है, तो उस मार्ग को प्रशस्त करने में भी यह सूक्त प्रभावी है।
- बुद्धि विकार निवृत्ति हेतु :- इसके सूक्त के पाठ से मनुष्य की मेधा (बुद्धि) सम्बन्धी विकार दूर होते है।
- अनुकूलता हेतु :- जीवनकाल की प्रत्येक परिस्थिति में अनुकूल प्राप्ति के निमित्त।
- शारीरिक वृद्धि हेतु :- इस पाठ के प्रभाव से साधक की शारीरिक वृद्धि होती है।
Puja Samagri
रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी, हल्दी, अबीर, गुलाल, अभ्रक, गङ्गाजल, गुलाबजल, इत्र, शहद, धूपबत्ती, रुईबत्ती, रुई, यज्ञोपवीत, पीला सरसों, देशी घी, कपूर, माचिस, जौ, दोना बड़ा साइज, पञ्चमेवा, गरी गोला, चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री, पीला कपड़ा सूती, काला तिल, चावल, कमलगट्टा, हवन सामग्री, घी, गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), बलिदान हेतु पापड़, काला उडद, पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी, हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच, नवग्रह समिधा, हवन समिधा, घृत पात्र, कुशा, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 07, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला - 5 ( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, तुलसी पत्र -7, पानी वाला नारियल, बिल्वपत्र, देवताओं के लिए वस्त्र -गमछा, धोती आदि, बैठने हेतु दरी,चादर,आसन, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित।