About Puja

संस्कृत साहित्य में देवराज इन्द्र को मघवाविडोजा , पाकशासन, शचीपति, शक्र, आदि अनेक नामों से संबोधित किया गया है। देवराज इन्द्र का यह इन्द्र सूक्त, शुक्ल यजुर्वेद के सत्रहवें अध्याय ३३-४९ में उद्धृत है  इस सूक्त में देवराज इन्द्र के दिव्य गुणों का गायन किया गया है। इन्द्र सूक्त के ऋषि अप्रतिरथ, देवता इन्द्र तथा छन्द त्रिष्टुप है। इस सूक्त में देवराज इन्द्र का स्वरूप अत्यंत स्वर्णिम तथा अरुण-वरुण के सदृश कहा गया है। यह सूक्त देवराज की महिमा का उद्घोष करता है, और उनसे वर्षा, रक्षा, सुख-समृद्धि, वैभव, उन्नति आदि की कामना के निमित्त प्रार्थना करता है। इन्द्र देवता को महाकाय, शक्तिशाली और सर्वशक्तिमान भी माना जाता है, और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह सूक्त अत्यंत है। अन्य देवों की अपेक्षा भगवान् इन्द्र का विशद् वर्णन वेदों में प्राप्त होता है।

Process

इन्द्र सूक्त पाठ  प्रयोग विधि :-

  •  स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  •  पूजा सङ्कल्प
  •  गणेश - गौरी पूजन
  •  कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  •  षोडशमातृका पूजन
  •  सप्तघृतमातृका पूजन
  • आयुष्यमन्त्रपाठ
  •  नवग्रह मण्डल पूजन
  •  अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  •  पञ्चलोकपाल, दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  •  रक्षाविधान
  •  प्रधान देवता पूजन
  •  पंचभूसंस्कार
  •  अग्नि स्थापन
  •  ब्रह्मा वरण 
  •  कुशकण्डिका
  •  आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  •  घृताहुति
  •  मूलमन्त्र आहुति 
  •  चरुहोम
  •  भूरादि नौ आहुति
  •  स्विष्टकृत आहुति
  •  पवित्रप्रतिपत्ति
  •  संस्रवप्राशन 
  •  मार्जन
  •  पूर्णपात्र दान
  •  प्रणीता विमोक
  •  मार्जन 
  •  बर्हिहोम 
  •  पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि
Benefits
  1. प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा :- यह पूजा विशेष रूप से दैवीय प्रकोप, विभिन्न रोगों से रक्षा प्रदान करती है। भगवान् इन्द्र के आशीर्वाद से उपासक के सभी संकट और भय समाप्त होते हैं। 
  2. वर्षा और समृद्धि :- देवराज इन्द्र को वृष्टि का अधिष्ठात्री देवता कहा जाता है। इस सूक्त का पाठ करने से वर्षा में वृद्धि होती है ,और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  3. शक्ति और साहस :- यह पूजा व्यक्ति में आंतरिक शक्ति और साहस का संचार करती है, जिससे वह जीवन की चुनौतियों का सामना साहस के साथ कर सकता है।
  4. मनोकामना पूर्ति :- इन्द्र सूक्त के पाठ से जीवन की इच्छाएँ पूर्ण होती हैं, और व्यक्ति को सुख-शांति का अनुभव होता है।
  5. कष्ट एवं रोगों से मुक्ति :- यह पूजा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाती है और रोगों से मुक्ति प्रदान करती है।
Puja Samagri

रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी, हल्दी, अबीर, गुलाल, अभ्रक, गङ्गाजल, गुलाबजल, इत्र, शहद, धूपबत्ती, रुईबत्ती, रुई, यज्ञोपवीत, पीला सरसों, देशी घी, कपूर, माचिस, जौ, दोना बड़ा साइज, पञ्चमेवा, गरी गोला, चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री, पीला कपड़ा सूती, काला तिल, चावल, कमलगट्टा, हवन सामग्री, घी, गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), बलिदान हेतु पापड़, काला उडद, पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी, हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच, नवग्रह समिधा, हवन समिधा, घृत पात्र, कुशा, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 07, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला - 5 ( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, तुलसी पत्र -7, पानी वाला नारियल, बिल्वपत्र, देवताओं के लिए वस्त्र -गमछा, धोती आदि, बैठने हेतु दरी,चादर,आसन, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित

इन्द्र सूक्त पूजा के दौरान शुद्धता, पवित्रता और संकल्प की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। साथ ही, पूजा स्थल को साफ और शांत रखना चाहिए।

नहीं, इन्द्र सूक्त पूजा का लाभ हर समय प्राप्त किया जा सकता है। यह पूजा सुरक्षा, समृद्धि और आशीर्वाद के लिए की जाती है।

हां, इन्द्र सूक्त पूजा में पंडितजी का ज्ञान और अनुभव अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, ताकि सूक्त का उच्चारण सही ढंग से हो सके।

हां, इन्द्र सूक्त के साथ विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है, जो भगवान् इन्द्र के आशीर्वाद को बढ़ाता है।

सनातन के पंडितजी अत्यधिक अनुभवी और योग्य होते हैं। हम आपके पूजा अनुभव को सरल और प्रभावी बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

About Puja

संस्कृत साहित्य में देवराज इन्द्र को मघवाविडोजा , पाकशासन, शचीपति, शक्र, आदि अनेक नामों से संबोधित किया गया है। देवराज इन्द्र का यह इन्द्र सूक्त, शुक्ल यजुर्वेद के सत्रहवें अध्याय ३३-४९ में उद्धृत है  इस सूक्त में देवराज इन्द्र के दिव्य गुणों का गायन किया गया है। इन्द्र सूक्त के ऋषि अप्रतिरथ, देवता इन्द्र तथा छन्द त्रिष्टुप है। इस सूक्त में देवराज इन्द्र का स्वरूप अत्यंत स्वर्णिम तथा अरुण-वरुण के सदृश कहा गया है। यह सूक्त देवराज की महिमा का उद्घोष करता है, और उनसे वर्षा, रक्षा, सुख-समृद्धि, वैभव, उन्नति आदि की कामना के निमित्त प्रार्थना करता है। इन्द्र देवता को महाकाय, शक्तिशाली और सर्वशक्तिमान भी माना जाता है, और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह सूक्त अत्यंत है। अन्य देवों की अपेक्षा भगवान् इन्द्र का विशद् वर्णन वेदों में प्राप्त होता है।

Process

इन्द्र सूक्त पाठ  प्रयोग विधि :-

  •  स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  •  पूजा सङ्कल्प
  •  गणेश - गौरी पूजन
  •  कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  •  षोडशमातृका पूजन
  •  सप्तघृतमातृका पूजन
  • आयुष्यमन्त्रपाठ
  •  नवग्रह मण्डल पूजन
  •  अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  •  पञ्चलोकपाल, दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  •  रक्षाविधान
  •  प्रधान देवता पूजन
  •  पंचभूसंस्कार
  •  अग्नि स्थापन
  •  ब्रह्मा वरण 
  •  कुशकण्डिका
  •  आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  •  घृताहुति
  •  मूलमन्त्र आहुति 
  •  चरुहोम
  •  भूरादि नौ आहुति
  •  स्विष्टकृत आहुति
  •  पवित्रप्रतिपत्ति
  •  संस्रवप्राशन 
  •  मार्जन
  •  पूर्णपात्र दान
  •  प्रणीता विमोक
  •  मार्जन 
  •  बर्हिहोम 
  •  पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि
Benefits
  1. प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा :- यह पूजा विशेष रूप से दैवीय प्रकोप, विभिन्न रोगों से रक्षा प्रदान करती है। भगवान् इन्द्र के आशीर्वाद से उपासक के सभी संकट और भय समाप्त होते हैं। 
  2. वर्षा और समृद्धि :- देवराज इन्द्र को वृष्टि का अधिष्ठात्री देवता कहा जाता है। इस सूक्त का पाठ करने से वर्षा में वृद्धि होती है ,और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  3. शक्ति और साहस :- यह पूजा व्यक्ति में आंतरिक शक्ति और साहस का संचार करती है, जिससे वह जीवन की चुनौतियों का सामना साहस के साथ कर सकता है।
  4. मनोकामना पूर्ति :- इन्द्र सूक्त के पाठ से जीवन की इच्छाएँ पूर्ण होती हैं, और व्यक्ति को सुख-शांति का अनुभव होता है।
  5. कष्ट एवं रोगों से मुक्ति :- यह पूजा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाती है और रोगों से मुक्ति प्रदान करती है।

Puja Samagri

रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी, हल्दी, अबीर, गुलाल, अभ्रक, गङ्गाजल, गुलाबजल, इत्र, शहद, धूपबत्ती, रुईबत्ती, रुई, यज्ञोपवीत, पीला सरसों, देशी घी, कपूर, माचिस, जौ, दोना बड़ा साइज, पञ्चमेवा, गरी गोला, चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री, पीला कपड़ा सूती, काला तिल, चावल, कमलगट्टा, हवन सामग्री, घी, गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), बलिदान हेतु पापड़, काला उडद, पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी, हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच, नवग्रह समिधा, हवन समिधा, घृत पात्र, कुशा, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 07, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला - 5 ( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, तुलसी पत्र -7, पानी वाला नारियल, बिल्वपत्र, देवताओं के लिए वस्त्र -गमछा, धोती आदि, बैठने हेतु दरी,चादर,आसन, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित

इन्द्र सूक्त पूजा के दौरान शुद्धता, पवित्रता और संकल्प की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। साथ ही, पूजा स्थल को साफ और शांत रखना चाहिए।

नहीं, इन्द्र सूक्त पूजा का लाभ हर समय प्राप्त किया जा सकता है। यह पूजा सुरक्षा, समृद्धि और आशीर्वाद के लिए की जाती है।

हां, इन्द्र सूक्त पूजा में पंडितजी का ज्ञान और अनुभव अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, ताकि सूक्त का उच्चारण सही ढंग से हो सके।

हां, इन्द्र सूक्त के साथ विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है, जो भगवान् इन्द्र के आशीर्वाद को बढ़ाता है।

सनातन के पंडितजी अत्यधिक अनुभवी और योग्य होते हैं। हम आपके पूजा अनुभव को सरल और प्रभावी बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
इन्द्रसूक्त पाठ

इन्द्रसूक्त पाठ एवं होम

सूक्त पाठ एवं हवन | Duration : 3 Hrs 30 min
Price : ₹ 2100 onwards
Price Range: 2100 to 6000

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