About Puja
पूञ्-पवने धातु से शानच् प्रत्यय के योग से “पवमान” शब्द निष्पन्न होता है, जिसका अर्थ है- शुद्ध होने वाला अथवा शुद्ध करने वाला । पवमान सूक्त, अथर्ववेद की पैप्लादशाखा में वर्णित २१ मन्त्रों का समूह है। यह पवमान सूक्त परमात्मा के विभिन्न स्वरूपों और शक्तियों का वर्णन करता है, जो परमशुद्ध तथा सकारात्मक ऊर्जा के प्रतीक हैं। पवमान शब्द का प्रयोग ऋग्वेद में सोमरस के लिए किया गया है। इसके अलावा अग्नि एवं वायु के लिए भी पवमान शब्द का प्रयोग होता है। पवमान सूक्त के पाठ से मानसिक अशांति, शारीरिक विकार और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। यह पवमान सूक्त पूजा व्यक्ति को शांति और समृद्धि की ओर प्रेरित कर उसके जीवन में सफलता प्रदान करती है। इस अनुष्ठान से जीवन में आंतरिक संतुलन और आध्यात्मिक उन्नति होती है। इस सूक्त का पाठ व्यक्ति के व्यक्तित्त्व को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है और घर में सुख-शांति का वातावरण उत्पन्न करता है।
नोट :- पवमान सूक्त के मन्त्रों का प्रयोग पवित्रीकरण के लिए ही होता है। वायु एवं अग्नि भी दोष निराकरण पूर्वक वस्तु या व्यक्ति को पवित्र करने वाले होते हैं।
Process
पवमान सूक्त पाठ एवं होम में प्रयोग होने वाली विधि:-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल, दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं , पूजन
- रक्षाविधान
- पंचभूसंस्कार
- अग्नि स्थापन
- ब्रह्मा वरण
- कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति
- मूलमन्त्र आहुति
- चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति
- स्विष्टकृत आहुति
- पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राशन
- मार्जन
- पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक
- मार्जन
- बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन इत्यादि
Benefits
- मानसिक शांति :- इस सूक्त के प्रभाव से मानसिक अशांति और तनाव दूर होता है।
- शारीरिक स्वास्थ्य :- पवमान सूक्त का जाप शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है। यह शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और रोगों से मुक्ति प्रदान करता है।
- नकारात्मकता का नाश :- यह सूक्त नकारात्मक विचार और ऊर्जा का नाश करता है, जिससे घर और कार्यस्थल में सकारात्मकता का सन्निवेश होता है।
- सुख-समृद्धि की प्राप्ति :- पवमान सूक्त व्यक्ति को स्थिरता और समृद्धि प्रदान करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति :- पवमान सूक्त का पाठ आत्मिक शुद्धता और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है। इससे व्यक्ति को अपने हृदय में आंतरिक रूप से एक दिव्य प्रकाश का अनुभव होता है।
- परिवारिक शांति :- यह पूजा घर में शांति और स्नेहपूर्ण संबंधों को प्रोत्साहित करती है। परिवार के सदस्य आपस में अधिक सामंजस्यपूर्ण होते हैं।
- रोगों से मुक्ति :- यह सूक्त विशेष रूप से विभिन्न रोगों से छुटकारा प्राप्त करने में सहायक है तथा शारीरिक और मानसिक शुद्धता प्राप्त करने में सहायक होता है।
- सामाजिक सम्मान : -पवमान सूक्त का पाठ व्यक्ति को समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त कराने में सहायक होता है।
Puja Samagri
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रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी, हल्दी, अबीर, गुलाल, अभ्रक, गङ्गाजल, गुलाबजल, इत्र, शहद, धूपबत्ती, रुईबत्ती, रुई, यज्ञोपवीत, पीला सरसों, देशी घी, कपूर, माचिस, जौ, दोना बड़ा साइज, पञ्चमेवा, गरी गोला, चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री, पीला कपड़ा सूती, काला तिल, चावल, कमलगट्टा, हवन सामग्री, घी, गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), बलिदान हेतु पापड़, काला उडद, पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी, हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच, नवग्रह समिधा, हवन समिधा, घृत पात्र, कुशा, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 07, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला - 5 ( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, तुलसी पत्र -7, पानी वाला नारियल, बिल्वपत्र, देवताओं के लिए वस्त्र -गमछा, धोती आदि, बैठने हेतु दरी,चादर,आसन, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित