About Puja
दीर्घायुष्य सूक्त अथर्ववेद की पैप्पलाद शाखा का सूक्त है। इसका नित्य पाठ या अनुष्ठान प्राणिमात्र को समानरूप से दीर्घायु प्रदान करने वाला है। इसके मंत्रद्रष्टा ऋषि पिप्पलाद ने देवों, ऋषियों, गन्धर्वों, लोकों, दिशाओं, औषधियों, नदियों एवं समुद्रों से मनुष्य की दीर्घायु के लिए प्रार्थना की है। यह सूक्त मनुष्य की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति को सशक्त करता है, और दीर्घकालिक स्वस्थ जीवन की ओर मार्ग प्रदर्शित करता है। इस सूक्त का विशेष प्रभाव शरीर की जीवन शक्ति को संतुलित करना एवं दीर्घायु की कामना के लिए इस सूक्त का पाठ कराया जाता है। विशेषरूप से जन्मदिवस, वैवाहिक वर्षगाँठ के अवसर पर इस सूक्त का पाठ कराना चाहिए।
Process
दीर्घायुष्य सूक्त पाठ प्रयोग विधि:-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल, दशदिक्पाल, वास्तुपुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान
- प्रधान देवता पूजन
- पंचभूसंस्कार
- अग्नि स्थापन
- ब्रह्मा वरण
- कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति
- मूलमन्त्र आहुति
- चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति
- स्विष्टकृत आहुति
- पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राशन
- मार्जन
- पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक
- मार्जन
- बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन आदि
Benefits
- दीर्घायु एवं संतान प्राप्ति :- इस सूक्त के पाठ से मनुष्य को दीर्घायु और सन्तान की प्राप्ति सरलता से होती है।
- मनोकामना पूर्ति :- दीर्घायुष्य सूक्त पाठ के प्रभाव से इन्द्र, वरुण, कुबेर, प्रजापति, अश्विनी कुमार आदि देवता प्रसन्न होकर साधक को मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।
- भण्डारग्रह में वृद्धि :- देवताओं तथा ऋषियों की कृपा के साथ ही अन्न भण्डारण में भी वृद्धि होती है ।
- ओजश्विता और तेज प्राप्ति :- मनुष्य को इस सूक्त का पाठ करने से उत्तम तेज, ओजश्विता एवं कान्ति की प्राप्ति होती है।
- जन्मदिवस या अन्य किसी मांगलिक अवसर पर इस सूक्त का पाठ करने मनुष्य को दीर्घायु प्राप्त होती है।
Puja Samagri
रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी, हल्दी, अबीर, गुलाल, अभ्रक, गङ्गाजल, गुलाबजल, इत्र, शहद, धूपबत्ती, रुईबत्ती, रुई, यज्ञोपवीत, पीला सरसों, देशी घी, कपूर, माचिस, जौ, दोना बड़ा साइज, पञ्चमेवा, गरी गोला, चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री, पीला कपड़ा सूती, काला तिल, चावल, कमलगट्टा, हवन सामग्री, घी, गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), बलिदान हेतु पापड़, काला उडद, पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी, हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच, नवग्रह समिधा, हवन समिधा, घृत पात्र, कुशा, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 07, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला - 5 ( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, तुलसी पत्र -7, पानी वाला नारियल, बिल्वपत्र, देवताओं के लिए वस्त्र -गमछा, धोती आदि, बैठने हेतु दरी,चादर,आसन, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित ।