About Puja
भारतीय भूमि प्रारम्भ काल से ही शौर्यता और वीरता की भूमि रही है । आश्विन मास के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि जो शोर्यता और वीरता का प्रतीक है जिसे हम विजयदशमी (दशहरा) के नाम से जानते हैं । यह त्यौहार हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है। इस त्यौहार पर पूजा का आयोजन शक्ति और विजय की प्राप्ति के लिए किया जाता है। रामचरितमानस के अनुसार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक माँ दुर्गा की पूजा भगवान् श्रीराम ने की । इसके पश्चात् रावण का वध किया एतदर्थ दशमी तिथि को “विजय दशमी” के रूप में मनाया जाता है । इस दिन विशेष रूप से शस्त्र पूजा, वाहन पूजा की जाती है, जो समृद्धि, सफलता और विजय की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। यह पूजा उन सभी के लिए खास महत्व रखती है जो व्यवसाय, उद्योग, शक्तिशाली कार्य, और जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं।
विजयदशमी का पर्व न केवल राम के रावण पर विजय की याद दिलाता है, बल्कि यह हमें अपनी आंतरिक शक्ति, धैर्य, सकारात्मकता और धर्म की ओर अग्रसर करता है। इस दिन की पूजा विशेष रूप से कर्मयोगियों, व्यवसायियों, शास्त्रधारियों, और उन सभी के लिए प्रभावी होती है जो जीवन में विजय प्राप्त करने की आकांक्षा रखते हैं।
विशेष :- किसी भी नूतन कार्य को प्रारम्भ करने के लिए यह दिन सर्वश्रेष्ठ उत्तम मुहुर्त माना जाता है।
Process
विजयादशमी (दशहरा) में प्रयोग होने वाली विधि:-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान,
Benefits
विजयदशमी पूजा से भक्तों को कई लाभ होते हैं, जिनमें मुख्य रूप से सफलता, समृद्धि, और विजय प्राप्त होती है। निम्नलिखित लाभ इस पूजा से प्राप्त होते हैं :-
- विजय और सफलता की प्राप्ति :- भगवान् श्रीराम और देवी दुर्गा के आशीर्वाद से कार्यों में विजय और सफलता प्राप्त होती है।
- व्यापार और उद्योग में समृद्धि :- इस पूजा से व्यापार और उद्योग में वृद्धि होती है।
- शक्ति और साहस में वृद्धि :- पूजा से व्यक्ति में मानसिक और शारीरिक शक्ति का संचार होता है, जिससे वह जीवन के संघर्षों का सामना कर सकता है।
- विघ्नों का नाश :- इस पूजा से कार्यों में आने वाली विघ्न-बाधाओं का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति आती है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार :- विजयदशमी पूजा से घर और कार्यस्थल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे जीवन में खुशहाली बनी रहती है।
Puja Samagri
- रोली, कलावा
- सिन्दूर, लवङ्ग
- इलाइची, सुपारी
- गङ्गाजल, गुलाबजल
- इत्र, शहद
- धूपबत्ती, रुई
- यज्ञोपवीत,
- देशी घी, कपूर
- माचिस,
- दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा
- गरी गोला
- चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का
- सप्तमृत्तिका
- सर्वोषधि
- पीला कपड़ा सूती
हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-
- काला तिल
- चावल
- कमलगट्टा
- हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
- गुड़ (बूरा या शक्कर)
- हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच
- नवग्रह समिधा
- हवन समिधा
- कुशा
- वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
- गाय का दूध - 100ML
- दही - 50ML
- मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार
- फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
- दूर्वादल (घास ) - 1मुठ
- पान का पत्ता - 07
- पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
- पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
- आम का पल्लव - 2
- तुलसी पत्र -7
- थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि
- देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा, धोती आदि
- बैठने हेतु दरी,चादर,आसन
- पानी वाला नारियल
- तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित