About Puja

प्रत्येक परिवार के लिए संतान का सुख परम आशीर्वाद होता है। भारतीय संस्कृति में संतान प्राप्ति के लिए अनेक धार्मिक संस्कारों का पालन किया जाता है, जिनमें से गर्भाधान संस्कार का अत्यधिक महत्व है। गर्भाधान शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है गर्भ + आधान । आधान शब्द का अर्थ स्थापित करना है अर्थात् पुरुष के द्वारा जब स्त्री के क्षेत्र में तेज (शुक्र ) का स्थापन किया जाता है यही प्रक्रिया गर्भाधान संस्कार है । परन्तु इस क्रिया को धार्मिक स्वच्छ और शुद्ध स्वरुप प्रदान करना संस्कार का कार्य है । यह संस्कार जीवन के प्रारंभिक चरणों में परिवार के लिए समृद्धि, सुख, और समृद्धि का संकेत माना जाता है। इस पूजा को कराने से न केवल संतान सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि यह परिवार में धार्मिक और मानसिक शांति का भी संचार करता है।

संक्षिप्त परिचय :-

गर्भाधान संस्कार एक प्रकार का धार्मिक अनुष्ठान है जो संतान के जन्म से पूर्व किया जाता है। यह संस्कार संतान के स्वास्थ्य और सुखी जीवन के लिए विशेष रूप से आयोजित किया जाता है ताकि संतान की प्राप्ति के बाद वह जीवन में स्वस्थ और सकारात्मक वातावरण में परिपोषित हो सके। हमारे ऋषि-मुनियों ने अनुचित अवधारणाओं पर नियंत्रण करने के लिए संस्कारों का वर्णन किया , जिससे स्वच्छ आचरण और कामाचार पर नियंत्रण हो , जिस कारण उत्तम माता –पिता द्वारा उत्पन्न संतान आध्यात्मिक भावना से उत्पन्न हो । जिस प्रकार भक्ति के माध्यम से उपासक अपनी प्रज्ञा और मन की शुद्धि करता है उसी प्रकार संस्कारों के माध्यम से शरीर एवं बाह्य कारणों की शुद्धि होती है । संस्कारों को विधि-विधान पूर्वक सम्पादित करने से इनका पूर्ण प्रभाव द्रष्टिगोचर होता है ।

पद्धति :-

गर्भाधान संस्कार में वेद, शास्त्र और पुराणों के अनुसार विशेष पूजा विधि का पालन किया जाता है। पंडितजी द्वारा संतान सुख की प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी, भगवान ब्रह्मा, और भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही, इसके माध्यम से देवी-देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है ताकि संतान को शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूपों में शक्ति प्राप्त हो। इस पूजा में विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जिनका प्रभाव परिवार के सदस्य के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।

गर्भाधान संस्कार करने का उचित समय :-     

गर्भाधान संस्कार के लिए माता-पिता का सदाचार संपन्न होना, ऋतु काल का होना, ऋतु काल में भी निषिद्ध तिथियों, नक्षत्रों, पर्वों तथा योगों का परिहार करना ,सहवास से पूर्व शास्त्रोक्त विधि से देवपूजा तथा वैदिक मंत्रों का पाठ कराना ,धार्मिक भावना से युक्त संतति की कामना तथा सन्तान उत्पत्ति के लिए सहवास करना ।

संतान उत्पत्ति, एक विज्ञान तथा अनुष्ठान है, जब पति-पत्नी दोनों संतान उत्पत्ति के योग्य और स्वस्थ हो, संतान उत्पन्न करने की प्रबल इच्छा हो ,देव पूजन एवं मंत्रों द्वारा उत्तम वातावरण उपस्थित हो , उस समय वह संसर्ग, यज्ञ का स्वरूप धारण कर लेता है और वह संतान अपने माता-पिता को पित्रृऋण से मुक्त कराती है।

Process

स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ

प्रतिज्ञा सङ्कल्प

गणपति गौरी पूजन

कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन

षोडशमातृका पूजन

सप्तघृतमातृका पूजन

आयुष्यमन्त्रपाठ

नवग्रह मण्डल पूजन

अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन

पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 

रक्षाविधान आदि।

Benefits

गर्भाधान संस्कार पूजा के विभिन्न लाभ हैं, जो परिवार में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य, और मानसिक शांति की प्राप्ति का कारण बनते हैं। निम्नलिखित लाभ होते हैं:

  • संतान सुख की प्राप्ति ।
  • शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार ।
  • पारिवारिक समृद्धि और सुख ।
  • सकारात्मक ऊर्जा का संचार ।
  • संतान के जीवन में समृद्धि और दीर्घायु की प्राप्ति ।
  • नकारात्मक प्रभावों से रक्षा ।
  • आत्मिक शांति और मानसिक संतुलन ।
Puja Samagri

रोली, कलावा    

सिन्दूर, लवङ्ग 

इलाइची, सुपारी 

हल्दी, अबीर 

गुलाल, अभ्रक 

गङ्गाजल, गुलाबजल 

इत्र, शहद 

धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 

यज्ञोपवीत, पीला सरसों 

देशी घी, कपूर 

माचिस, जौ 

दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 

सफेद चन्दन, लाल चन्दन 

अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 

चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 

सप्तमृत्तिका 

सप्तधान्य, सर्वोषधि 

पञ्चरत्न, मिश्री 

पीला कपड़ा सूती

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1

पीला कपड़ा सूती - 2meter

गाय का दूध - 100ML

दही - 50ML

मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 

फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )

दूर्वादल - 1मुठ 

पान का पत्ता - 07

पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg

पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)

आम का पल्लव - 2

तुलसी पत्र -7

 थाली - 2

पानी वाला नारियल

कटोरी - 5

लोटा - 2

चम्मच - 2

अखण्ड दीपक -1

तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित

देवताओं के लिए वस्त्र 

बैठाने हेतु दरी,चादर,आसन 

गोदुग्ध,गोदधि,गोमूत्र

awasthi

About Puja

प्रत्येक परिवार के लिए संतान का सुख परम आशीर्वाद होता है। भारतीय संस्कृति में संतान प्राप्ति के लिए अनेक धार्मिक संस्कारों का पालन किया जाता है, जिनमें से गर्भाधान संस्कार का अत्यधिक महत्व है। गर्भाधान शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है गर्भ + आधान । आधान शब्द का अर्थ स्थापित करना है अर्थात् पुरुष के द्वारा जब स्त्री के क्षेत्र में तेज (शुक्र ) का स्थापन किया जाता है यही प्रक्रिया गर्भाधान संस्कार है । परन्तु इस क्रिया को धार्मिक स्वच्छ और शुद्ध स्वरुप प्रदान करना संस्कार का कार्य है । यह संस्कार जीवन के प्रारंभिक चरणों में परिवार के लिए समृद्धि, सुख, और समृद्धि का संकेत माना जाता है। इस पूजा को कराने से न केवल संतान सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि यह परिवार में धार्मिक और मानसिक शांति का भी संचार करता है।

संक्षिप्त परिचय :-

गर्भाधान संस्कार एक प्रकार का धार्मिक अनुष्ठान है जो संतान के जन्म से पूर्व किया जाता है। यह संस्कार संतान के स्वास्थ्य और सुखी जीवन के लिए विशेष रूप से आयोजित किया जाता है ताकि संतान की प्राप्ति के बाद वह जीवन में स्वस्थ और सकारात्मक वातावरण में परिपोषित हो सके। हमारे ऋषि-मुनियों ने अनुचित अवधारणाओं पर नियंत्रण करने के लिए संस्कारों का वर्णन किया , जिससे स्वच्छ आचरण और कामाचार पर नियंत्रण हो , जिस कारण उत्तम माता –पिता द्वारा उत्पन्न संतान आध्यात्मिक भावना से उत्पन्न हो । जिस प्रकार भक्ति के माध्यम से उपासक अपनी प्रज्ञा और मन की शुद्धि करता है उसी प्रकार संस्कारों के माध्यम से शरीर एवं बाह्य कारणों की शुद्धि होती है । संस्कारों को विधि-विधान पूर्वक सम्पादित करने से इनका पूर्ण प्रभाव द्रष्टिगोचर होता है ।

पद्धति :-

गर्भाधान संस्कार में वेद, शास्त्र और पुराणों के अनुसार विशेष पूजा विधि का पालन किया जाता है। पंडितजी द्वारा संतान सुख की प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी, भगवान ब्रह्मा, और भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही, इसके माध्यम से देवी-देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है ताकि संतान को शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूपों में शक्ति प्राप्त हो। इस पूजा में विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जिनका प्रभाव परिवार के सदस्य के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।

गर्भाधान संस्कार करने का उचित समय :-     

गर्भाधान संस्कार के लिए माता-पिता का सदाचार संपन्न होना, ऋतु काल का होना, ऋतु काल में भी निषिद्ध तिथियों, नक्षत्रों, पर्वों तथा योगों का परिहार करना ,सहवास से पूर्व शास्त्रोक्त विधि से देवपूजा तथा वैदिक मंत्रों का पाठ कराना ,धार्मिक भावना से युक्त संतति की कामना तथा सन्तान उत्पत्ति के लिए सहवास करना ।

संतान उत्पत्ति, एक विज्ञान तथा अनुष्ठान है, जब पति-पत्नी दोनों संतान उत्पत्ति के योग्य और स्वस्थ हो, संतान उत्पन्न करने की प्रबल इच्छा हो ,देव पूजन एवं मंत्रों द्वारा उत्तम वातावरण उपस्थित हो , उस समय वह संसर्ग, यज्ञ का स्वरूप धारण कर लेता है और वह संतान अपने माता-पिता को पित्रृऋण से मुक्त कराती है।

Process

स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ

प्रतिज्ञा सङ्कल्प

गणपति गौरी पूजन

कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन

षोडशमातृका पूजन

सप्तघृतमातृका पूजन

आयुष्यमन्त्रपाठ

नवग्रह मण्डल पूजन

अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन

पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 

रक्षाविधान आदि।

Benefits

गर्भाधान संस्कार पूजा के विभिन्न लाभ हैं, जो परिवार में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य, और मानसिक शांति की प्राप्ति का कारण बनते हैं। निम्नलिखित लाभ होते हैं:

  • संतान सुख की प्राप्ति ।
  • शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार ।
  • पारिवारिक समृद्धि और सुख ।
  • सकारात्मक ऊर्जा का संचार ।
  • संतान के जीवन में समृद्धि और दीर्घायु की प्राप्ति ।
  • नकारात्मक प्रभावों से रक्षा ।
  • आत्मिक शांति और मानसिक संतुलन ।

Puja Samagri

रोली, कलावा    

सिन्दूर, लवङ्ग 

इलाइची, सुपारी 

हल्दी, अबीर 

गुलाल, अभ्रक 

गङ्गाजल, गुलाबजल 

इत्र, शहद 

धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 

यज्ञोपवीत, पीला सरसों 

देशी घी, कपूर 

माचिस, जौ 

दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 

सफेद चन्दन, लाल चन्दन 

अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 

चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 

सप्तमृत्तिका 

सप्तधान्य, सर्वोषधि 

पञ्चरत्न, मिश्री 

पीला कपड़ा सूती

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1

पीला कपड़ा सूती - 2meter

गाय का दूध - 100ML

दही - 50ML

मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 

फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )

दूर्वादल - 1मुठ 

पान का पत्ता - 07

पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg

पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)

आम का पल्लव - 2

तुलसी पत्र -7

 थाली - 2

पानी वाला नारियल

कटोरी - 5

लोटा - 2

चम्मच - 2

अखण्ड दीपक -1

तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित

देवताओं के लिए वस्त्र 

बैठाने हेतु दरी,चादर,आसन 

गोदुग्ध,गोदधि,गोमूत्र

awasthi
गर्भाधान

गर्भाधान संस्कार पूजा

संस्कार | Duration : 3 Hrs 30 min
Price : ₹ 3100 onwards
Price Range: 3100 to 0

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