About Puja
गाय रुद्रों की माता, वसुओं की पुत्री, अदितिपुत्रों की बहन एवं घृत का अपरिमित स्रोत है, ऐसा ऋग्वेद में कहा गया है। अथर्ववेद के चतुर्थकाण्ड के २१ वें सूक्त को “गोसूक्त” के नाम से जाना जाता है। इसके ऋषि ब्रह्मा और देवता गौ है। इस सूक्त में गाय के विविध स्वरूपों की स्तुति करते हुए शारीरिक विशेषताएँ, गाय के द्वारा दी जाने वाली समस्त लाभकारी वस्तुएं और उनकी आध्यात्मिक महिमा, का उल्लेख किया गया है। यह सूक्त विशेष रूप से सुख, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। सनातन धर्म का प्रत्येक अनुयायी गाय की मातृवत सेवा, पूजा, अर्चना करता है। गोसूक्त के द्वारा गौ माता की सेवा, पूजा, उपासना आदि करने से आयु, आरोग्य, बल, बुद्धि, विवेक, ज्ञान और तेज की प्राप्ति होती है। गौ माता की सेवा के प्रभाव से संतानहीन दम्पति को सुलक्षण संतान की प्राप्ति होती है, जिसका उदहारण राजा दिलीप एवं उनकी पत्नी सुदाक्षिणा का है। "गावो विश्वस्य मातर:" इस उक्ति के अनुसार गाय सम्पूर्ण विश्व की माता है।
Process
गोसूक्त पाठ में प्रयोग होने वाली विधि :-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- पूजा सङ्कल्प
- गणेश - गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल, दशदिक्पाल, वास्तुपुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान
- प्रधान देवता पूजन
- पंचभूसंस्कार
- अग्नि स्थापन
- ब्रह्मा वरण
- कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति
- मूलमन्त्र आहुति
- चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति
- स्विष्टकृत आहुति
- पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राशन
- मार्जन
- पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक
- मार्जन
- बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन आदि
Benefits
- संतान प्राप्ति में सहायक :- गो सूक्त का पाठ संतान प्राप्ति में आ रही बाधाओं को दूर करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति :- गो सूक्त के पाठ से व्यक्ति के आध्यात्मिक स्तर में वृद्धि होती है।
- स्वास्थ्य लाभ :- गाय के आशीर्वाद से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह विशेष रूप से तनाव और चिंता से मुक्ति में सहायक है।
- समृद्धि का वर्धन :- गो सूक्त के अनुष्ठान से घर में समृद्धि और आर्थिक उन्नति होती है।
- घर में शांति :- गो सूक्त का पाठ घर के वातावरण को शुद्ध करता है और शांति, सौहार्दपूर्ण का निर्माण करता है।
- अशांति और कष्टों से मुक्ति :- इस पूजा के माध्यम से व्यक्ति के जीवन में आ रहे अशांति और कष्टों से छुटकारा मिलता है।
- धार्मिक पवित्रता :- यह पूजा धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, और व्यक्ति की धार्मिक पवित्रता को बढ़ाती है।
- विपत्ति से रक्षा :- गो सूक्त का पाठ व्यक्ति को विपत्तियों से बचाता है और उसकी सदा रक्षा करता है।
Puja Samagri
रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी, हल्दी, अबीर, गुलाल, अभ्रक, गङ्गाजल, गुलाबजल, इत्र, शहद, धूपबत्ती, रुईबत्ती, रुई, यज्ञोपवीत, पीला सरसों, देशी घी, कपूर, माचिस, जौ, दोना बड़ा साइज, पञ्चमेवा, गरी गोला, चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री, पीला कपड़ा सूती, काला तिल, चावल, कमलगट्टा, हवन सामग्री, घी, गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), बलिदान हेतु पापड़, काला उडद, पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी, हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच, नवग्रह समिधा, हवन समिधा, घृत पात्र, कुशा, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 07, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला - 5 ( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, तुलसी पत्र -7, पानी वाला नारियल, बिल्वपत्र, देवताओं के लिए वस्त्र -गमछा, धोती आदि, बैठने हेतु दरी,चादर,आसन, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित