About Puja

कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की एकादशी के पश्चात् एवं धनत्रयोदशी (धनतेरस) पूर्व द्वादशी तिथि को गोवत्स द्वादशी का पर्व मनाया जाता है, विशेष रूप यह पर्व गौ माता एवं  भगवान् श्रीकृष्ण की उपासना से जुड़ा हुआ है। अपने बाल्यकाल से ही भगवान् गायों के साथ रहे इसलिए जब भी हम गौमाता की पूजा या उपासना करते हैं तो भगवान् श्री कृष्ण की भी उपासना भी हमारे लिए प्रमुख हो जाती है। इस दिन महिलाएं गीली मिट्टी से गाय-बछड़ा , बाघ-बाघिन बनाकर, पाट पर रखकर पंचोपचार एवं षोडशोपचार से पूजा करती हैं एवं अपनी सन्तान की आयु में वृद्धि तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति हेतु मंगल कामना करती हैं । उपासक को गोधुलीवेला में गायों की पूजा करनी चाहिये ।

भारतवर्ष के विभिन्न हिस्सों में गोवत्स द्वादशी को बछ-बारस पर्व के नाम से भी जाना जाता है । गुजरात में इसे बाघ-बरस के नाम से जाना जाता है । भविष्यपुराण के अनुसार गौमाता में सभी देवी-देवताओं का निवास होता है, एतदर्थ गौमाता की उपासना सर्वोपरि पूजनीय एवं प्रार्थनीय है ।

इस श्लोक का उच्चारण करते हुए गौ माता का पूजन एवं प्रणाम करें -

नमो गोभ्य: श्रीमतीभ्य: सौरभेयीभ्य एव च।
नमो ब्रह्मसुताभ्यश्च पवित्राभ्यो नमो नमः  

गोवत्स द्वादशी का यह विशेष पर्व नन्दिनी पर्व के नाम से भी जाना जाता है 

Process

गोवत्स द्वादशी में प्रयोग होने वाली विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. पूजा सङ्कल्प  
  3. गणेश गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन वरुणादि 
  5. देवताओं का पूजन 
  6.  ब्राह्मण वरण सङ्कल्प
  7. गो प्रोक्षण
  8. गो सर्वाङ्ग में देवताओं का ध्यान एवं सर्वविध पूजन
  9. शृङ्गभूषार्थं स्वर्णशृङ्गम् 
  10.  चरणभूषणार्थं रजतखुर
  11.  गलभूषार्थं घटा, 
  12.  दोहनार्थं कांस्य पात्रम्
  13.  सर्वालङ्कारार्थं यथाशक्ति द्रव्यं 
  14.  गोपुच्छ तर्पण
  15.  गोदान सङ्कल्प 
  16.  प्रतिष्ठा सङ्कल्प
  17.  वत्स (बछड़े) सहित गाय की चार  प्रदक्षिणा
  18.  गौ अभिवादन
  19.  गाय के दक्षिण कान में मन्त्रपाठ
  20.  गोपुच्छ के जल से अभिषेक
  21.  रक्षासूत्र बन्धन
  22.  तिलक करण परस्पर
  23.  ब्राह्मणद्वारा आशीर्वाद 
  24.  विनियोग एवं अर्ध्य प्रदान  सूर्यनारायण को 
  25. आरती, प्रसाद ग्रहण 
  26. क्षमा प्रार्थना

Benefits

गोवत्स द्वादशी व्रत पूजा के अनेक लाभ होते हैं जो भक्तों के जीवन को सुखमय और समृद्धि से भर देते हैं :-

  1. भगवान् कृष्ण कृपा प्राप्ति हेतु :- इस पूजा से भगवान् श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में समृद्धि और खुशहाली आती है।
  2. आर्थिक समृद्धि :- गोवर्धन पूजा से घर में आर्थिक समृद्धि का वास होता है और व्यापार में वृद्धि होती है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति :- इस व्रत के द्वारा भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति होती है और वे भगवान् श्री कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति को और भी प्रगाढ़ करते हैं।
  4. वृद्धि और संरक्षण :- इस व्रत के प्रभाव से भक्तों का जीवन संरक्षित और सुरक्षित रहता है। यह व्रत किसी भी प्रकार की दुर्घटनाओं और संकटों से बचाने में मदद करता है।
  5. गौ सेवा करने से प्रज्ञावान् सन्तान (पुत्र, पुत्री) की प्राप्ति होती है। 
  6. गाय का पंचगव्य विभिन्न प्रकार के रोगों से मनुष्य की रक्षा करता है।
  7. गाय के पंचगव्य का पान करने से मनुष्य का अन्त:करण (ह्रदय) शुद्ध होता है तथा समस्त पाप समाप्त होते हैं।
  8. गौसेवा के निमित्त किया गया दान -पुण्य सभी कामनाओं को पूर्ण करता है
Puja Samagri
  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि
  • पीला कपड़ा सूती
  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता – 05
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 1 kg
  • पुष्पमाला - 5 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव – 2
  • थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि 
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • पानी वाला नारियल,

गोवर्धन द्वादशी पूजा कार्तिक कृष्ण द्वादशी मनाई जाती है।

हां, यह व्रत पुरुष भी कर सकते हैं। यह व्रत सभी के लिए है, जो भगवान् कृष्ण के आशीर्वाद को प्राप्त करना चाहते हैं।

हां, इस व्रत में उपवास रहना अनिवार्य है। व्रति केवल फलाहार कर सकती है।

हां, सनातन पर पूजा बुक करना बहुत आसान है। आप हमारी वेबसाइट पर जाकर पूजा बुकिंग कर सकते हैं।

हां, प्रसाद का वितरण पूरे घर में शांति और सुख लाता है, और यह एक शुभ कार्य माना जाता है।

About Puja

कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की एकादशी के पश्चात् एवं धनत्रयोदशी (धनतेरस) पूर्व द्वादशी तिथि को गोवत्स द्वादशी का पर्व मनाया जाता है, विशेष रूप यह पर्व गौ माता एवं  भगवान् श्रीकृष्ण की उपासना से जुड़ा हुआ है। अपने बाल्यकाल से ही भगवान् गायों के साथ रहे इसलिए जब भी हम गौमाता की पूजा या उपासना करते हैं तो भगवान् श्री कृष्ण की भी उपासना भी हमारे लिए प्रमुख हो जाती है। इस दिन महिलाएं गीली मिट्टी से गाय-बछड़ा , बाघ-बाघिन बनाकर, पाट पर रखकर पंचोपचार एवं षोडशोपचार से पूजा करती हैं एवं अपनी सन्तान की आयु में वृद्धि तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति हेतु मंगल कामना करती हैं । उपासक को गोधुलीवेला में गायों की पूजा करनी चाहिये ।

भारतवर्ष के विभिन्न हिस्सों में गोवत्स द्वादशी को बछ-बारस पर्व के नाम से भी जाना जाता है । गुजरात में इसे बाघ-बरस के नाम से जाना जाता है । भविष्यपुराण के अनुसार गौमाता में सभी देवी-देवताओं का निवास होता है, एतदर्थ गौमाता की उपासना सर्वोपरि पूजनीय एवं प्रार्थनीय है ।

इस श्लोक का उच्चारण करते हुए गौ माता का पूजन एवं प्रणाम करें -

नमो गोभ्य: श्रीमतीभ्य: सौरभेयीभ्य एव च।
नमो ब्रह्मसुताभ्यश्च पवित्राभ्यो नमो नमः  

गोवत्स द्वादशी का यह विशेष पर्व नन्दिनी पर्व के नाम से भी जाना जाता है 

Process

गोवत्स द्वादशी में प्रयोग होने वाली विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. पूजा सङ्कल्प  
  3. गणेश गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन वरुणादि 
  5. देवताओं का पूजन 
  6.  ब्राह्मण वरण सङ्कल्प
  7. गो प्रोक्षण
  8. गो सर्वाङ्ग में देवताओं का ध्यान एवं सर्वविध पूजन
  9. शृङ्गभूषार्थं स्वर्णशृङ्गम् 
  10.  चरणभूषणार्थं रजतखुर
  11.  गलभूषार्थं घटा, 
  12.  दोहनार्थं कांस्य पात्रम्
  13.  सर्वालङ्कारार्थं यथाशक्ति द्रव्यं 
  14.  गोपुच्छ तर्पण
  15.  गोदान सङ्कल्प 
  16.  प्रतिष्ठा सङ्कल्प
  17.  वत्स (बछड़े) सहित गाय की चार  प्रदक्षिणा
  18.  गौ अभिवादन
  19.  गाय के दक्षिण कान में मन्त्रपाठ
  20.  गोपुच्छ के जल से अभिषेक
  21.  रक्षासूत्र बन्धन
  22.  तिलक करण परस्पर
  23.  ब्राह्मणद्वारा आशीर्वाद 
  24.  विनियोग एवं अर्ध्य प्रदान  सूर्यनारायण को 
  25. आरती, प्रसाद ग्रहण 
  26. क्षमा प्रार्थना

Benefits

गोवत्स द्वादशी व्रत पूजा के अनेक लाभ होते हैं जो भक्तों के जीवन को सुखमय और समृद्धि से भर देते हैं :-

  1. भगवान् कृष्ण कृपा प्राप्ति हेतु :- इस पूजा से भगवान् श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में समृद्धि और खुशहाली आती है।
  2. आर्थिक समृद्धि :- गोवर्धन पूजा से घर में आर्थिक समृद्धि का वास होता है और व्यापार में वृद्धि होती है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति :- इस व्रत के द्वारा भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति होती है और वे भगवान् श्री कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति को और भी प्रगाढ़ करते हैं।
  4. वृद्धि और संरक्षण :- इस व्रत के प्रभाव से भक्तों का जीवन संरक्षित और सुरक्षित रहता है। यह व्रत किसी भी प्रकार की दुर्घटनाओं और संकटों से बचाने में मदद करता है।
  5. गौ सेवा करने से प्रज्ञावान् सन्तान (पुत्र, पुत्री) की प्राप्ति होती है। 
  6. गाय का पंचगव्य विभिन्न प्रकार के रोगों से मनुष्य की रक्षा करता है।
  7. गाय के पंचगव्य का पान करने से मनुष्य का अन्त:करण (ह्रदय) शुद्ध होता है तथा समस्त पाप समाप्त होते हैं।
  8. गौसेवा के निमित्त किया गया दान -पुण्य सभी कामनाओं को पूर्ण करता है

Puja Samagri
  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि
  • पीला कपड़ा सूती
  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता – 05
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 1 kg
  • पुष्पमाला - 5 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव – 2
  • थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि 
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • पानी वाला नारियल,

गोवर्धन द्वादशी पूजा कार्तिक कृष्ण द्वादशी मनाई जाती है।

हां, यह व्रत पुरुष भी कर सकते हैं। यह व्रत सभी के लिए है, जो भगवान् कृष्ण के आशीर्वाद को प्राप्त करना चाहते हैं।

हां, इस व्रत में उपवास रहना अनिवार्य है। व्रति केवल फलाहार कर सकती है।

हां, सनातन पर पूजा बुक करना बहुत आसान है। आप हमारी वेबसाइट पर जाकर पूजा बुकिंग कर सकते हैं।

हां, प्रसाद का वितरण पूरे घर में शांति और सुख लाता है, और यह एक शुभ कार्य माना जाता है।
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गोवत्स द्वादशी व्रत पूजा

व्रतोत्सव त्यौहार | Duration : 3 Hrs 30 min
Price : ₹ 3100 onwards
Price Range: 3100 to 0

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