About Puja

'मधु सूक्त' जिसे मधुविद्या के नाम से भी जाना जाता है। यह सूक्त अथर्ववेद के अंतर्गत् नवमकाण्ड में “मधुविद्या विषयक” मधुर यह सूक्त प्राप्त होता है। सूक्त के ऋषि अथर्वा तथा देवता मधु एवं अश्विनी कुमार हैं। मधु सूक्त में विशेष रूप से गो महिमा का उल्लेख है। अमृतरस के सदृश गाय के दुग्ध को मनुष्यों के लिए सोमरस के समान अमूल्य बताकर उससे तेज एवं वृद्धि की प्रेरणा दी गयी है। गो के विश्वरूप अर्थात् समस्त प्रकृति में चारों दिशाओं में व्याप्त मधुरता को अपने अन्दर समाहित करने के निमित्त उदारभाव से प्रार्थना की है। इस सूक्त का नियमित पाठ करने से साधक में विशेष मधुरता का संचार होकर सद्गुणों का विकास होता है, तथा सौभाग्य में वृद्धि होती है।      

Process

मधु सूक्त पाठ प्रयोग विधि :-

  • स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  • प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  • गणपति गौरी पूजन
  • कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  • षोडशमातृका पूजन
  • सप्तघृतमातृका पूजन
  • आयुष्यमन्त्रपाठ
  • नवग्रह मण्डल पूजन
  • अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  • पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  • रक्षाविधान 
  • प्रधान देवता पूजन
  • पंचभूसंस्कार
  • अग्नि स्थापन
  • ब्रह्मा वरण 
  • कुशकण्डिका
  • आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  • घृताहुति
  • मूलमन्त्र आहुति 
  •  चरुहोम
  • भूरादि नौ आहुति
  •  स्विष्टकृत आहुति
  • पवित्रप्रतिपत्ति
  • संस्रवप्राशन 
  • मार्जन
  • पूर्णपात्र दान
  • प्रणीता विमोक
  • मार्जन 
  • बर्हिहोम 
  • पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि
Benefits
  • अभ्युदय प्राप्ति :- इस सूक्त का अनुष्ठानात्मक पाठ करने से इन्द्र, अग्नि, वायु, कुबेर, यम, प्रजापति आदि देवता प्रसन्न होकर उपासक का कल्याण करते हैं।
  • अनुकूल व्यवहार :- इस सूक्त के पाठ से समस्त पारिवारिक एवं व्यावसायिक जनों का व्यवहार अनुकूल होता है।
  • बल प्राप्ति :- इस पूजा के प्रभाव से उपासक को भौतिक एवं आध्बयात्लमिक बल की प्राप्ति होती है।
  • मधुरता का संचार :- इसके पाठ से परिवार में परस्पर प्रेम और मधुरता का संचार होता है।
  • तेज और ऐश्वर्य प्राप्ति :- इस सूक्त के पाठ से साधक को तेज एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।    
Puja Samagri

रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी, हल्दी, अबीरगुलाल, अभ्रकगङ्गाजल, गुलाबजलइत्र, शहदधूपबत्ती, रुईबत्ती, रुईयज्ञोपवीत, पीला सरसोंदेशी घी, कपूरमाचिस, जौदोना छोटा, पञ्चमेवाअष्टगन्ध चन्दन, गरी गोलाचावल छोटा,  दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूतीहवन सामग्री, कमल गट्टा -21, घीगुड़(बूरा या शक्कर), पानपत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद, हवन कुण्ड, नवग्रह समिधाघृत पात्र, कुशा, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध -100ML, दही -50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसारफल विभिन्न प्रकार (आवश्यकतानुसार), दूर्वादल (घास) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार -2 kg, पुष्पमाला -5(विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव –2, थाली -2, कटोरी -5, लोटा -2, चम्मच -2, अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित, पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र -गमछा धोती  आदि, बैठने हेतु दरी, चादर, आसन 
 

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'मधु सूक्त' जिसे मधुविद्या के नाम से भी जाना जाता है। यह सूक्त अथर्ववेद के अंतर्गत् नवमकाण्ड में “मधुविद्या विषयक” मधुर यह सूक्त प्राप्त होता है। सूक्त के ऋषि अथर्वा तथा देवता मधु एवं अश्विनी कुमार हैं। मधु सूक्त में विशेष रूप से गो महिमा का उल्लेख है। अमृतरस के सदृश गाय के दुग्ध को मनुष्यों के लिए सोमरस के समान अमूल्य बताकर उससे तेज एवं वृद्धि की प्रेरणा दी गयी है। गो के विश्वरूप अर्थात् समस्त प्रकृति में चारों दिशाओं में व्याप्त मधुरता को अपने अन्दर समाहित करने के निमित्त उदारभाव से प्रार्थना की है। इस सूक्त का नियमित पाठ करने से साधक में विशेष मधुरता का संचार होकर सद्गुणों का विकास होता है, तथा सौभाग्य में वृद्धि होती है।      

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मधु सूक्त पाठ प्रयोग विधि :-

  • स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  • प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  • गणपति गौरी पूजन
  • कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  • षोडशमातृका पूजन
  • सप्तघृतमातृका पूजन
  • आयुष्यमन्त्रपाठ
  • नवग्रह मण्डल पूजन
  • अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  • पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  • रक्षाविधान 
  • प्रधान देवता पूजन
  • पंचभूसंस्कार
  • अग्नि स्थापन
  • ब्रह्मा वरण 
  • कुशकण्डिका
  • आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  • घृताहुति
  • मूलमन्त्र आहुति 
  •  चरुहोम
  • भूरादि नौ आहुति
  •  स्विष्टकृत आहुति
  • पवित्रप्रतिपत्ति
  • संस्रवप्राशन 
  • मार्जन
  • पूर्णपात्र दान
  • प्रणीता विमोक
  • मार्जन 
  • बर्हिहोम 
  • पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि
Benefits
  • अभ्युदय प्राप्ति :- इस सूक्त का अनुष्ठानात्मक पाठ करने से इन्द्र, अग्नि, वायु, कुबेर, यम, प्रजापति आदि देवता प्रसन्न होकर उपासक का कल्याण करते हैं।
  • अनुकूल व्यवहार :- इस सूक्त के पाठ से समस्त पारिवारिक एवं व्यावसायिक जनों का व्यवहार अनुकूल होता है।
  • बल प्राप्ति :- इस पूजा के प्रभाव से उपासक को भौतिक एवं आध्बयात्लमिक बल की प्राप्ति होती है।
  • मधुरता का संचार :- इसके पाठ से परिवार में परस्पर प्रेम और मधुरता का संचार होता है।
  • तेज और ऐश्वर्य प्राप्ति :- इस सूक्त के पाठ से साधक को तेज एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।    

Puja Samagri

रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी, हल्दी, अबीरगुलाल, अभ्रकगङ्गाजल, गुलाबजलइत्र, शहदधूपबत्ती, रुईबत्ती, रुईयज्ञोपवीत, पीला सरसोंदेशी घी, कपूरमाचिस, जौदोना छोटा, पञ्चमेवाअष्टगन्ध चन्दन, गरी गोलाचावल छोटा,  दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूतीहवन सामग्री, कमल गट्टा -21, घीगुड़(बूरा या शक्कर), पानपत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद, हवन कुण्ड, नवग्रह समिधाघृत पात्र, कुशा, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध -100ML, दही -50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसारफल विभिन्न प्रकार (आवश्यकतानुसार), दूर्वादल (घास) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार -2 kg, पुष्पमाला -5(विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव –2, थाली -2, कटोरी -5, लोटा -2, चम्मच -2, अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित, पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र -गमछा धोती  आदि, बैठने हेतु दरी, चादर, आसन 
 

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मधु सूक्त पाठ एवं होम

सूक्त पाठ एवं हवन | Duration : 3 Hours
Price : ₹ 2100 onwards
Price Range: 2100 to 5100

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