About Puja
भगवान् नारायण अजर, अमर, अगोचर, अकल्पनीय एवं निराकार, साकार दोनों स्वरुप में विद्यमान हैं, ऐसे परम तेजोमय स्वरुप की जो उपसना करता है, उन्हें साक्षात् नारायण कृपा प्राप्ति होती है । नारायण सूक्त के ऋषि नारायण, देवता आदित्य-पुरुष और छन्द भूरिगार्षी त्रिष्टुप्, निच्यृदार्षी त्रिष्टुप् एवं आर्म्यनुष्टुप् है। भगवान् नारायण की महिमा का गुणगान करने वाले इस दिव्य सूक्त में 16 मन्त्र हैं। इस सूक्त को “उत्तर नारायण सूक्त” भी कहा जाता है। नारायण सूक्त का पाठ करने से भगवान् नारायण के समस्त स्वरूपों की पूजा करने का फल प्राप्त हो जाता है, और ऐसी जीवात्मा भगवान् के परमधाम को प्राप्त करती है । नारायण सूक्त का पाठ उपासक को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और भौतिक समृद्धि का वरदान प्रदान करता है। यह पूजा न केवल व्यक्ति की मानसिक स्थिति को शुद्ध करती है, बल्कि समाज में शांति और सद्भावना का विस्तार करती है। नारायण सूक्त का पाठ प्रयोग करने से लौकिक तथा पारलौकिक सम्पदाओं की प्राप्ति होती है। नारायण सूक्त का पाठ करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है, और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। भगवान् विष्णु की उपासना से उनके भक्तों को आशीर्वाद, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, नारायण सूक्त का निरंतर पाठ संतान सुख, स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति के लिए भी किया जाता है।
Process
नारायण सूक्त पाठ प्रयोग विधि:-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल, दशदिक्पाल, वास्तुपुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान
- प्रधान देवता पूजन
- पंचभूसंस्कार
- अग्नि स्थापन
- ब्रह्मा वरण
- कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति
- मूलमन्त्र आहुति
- चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति
- स्विष्टकृत आहुति
- पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राशन
- मार्जन
- पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक
- मार्जन
- बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन आदि
Benefits
- आध्यात्मिक उन्नति :- नारायण सूक्त का पाठ करने अथवा कराने से आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह भगवान् विष्णु के दिव्य गुणों का ध्यान करने का माध्यम है, जिससे मानसिक शांति और आत्मिक शुद्धता प्राप्त होती है।
- मानसिक शांति और तनाव मुक्ति :- नारायण सूक्त का पाठ मानसिक शांति एवं तनाव मुक्ति के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। जब व्यक्ति इस सूक्त का पाठ करता है, तो उसका मन शांत और स्थिर होता है।
- धन एवं समृद्धि प्राप्ति :- नारायण सूक्त का पाठ धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है। भगवान् विष्णु के आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक सुख और समृद्धि का वास होता है। यह सूक्त व्यक्ति के जीवन में धन, ऐश्वर्य और समृद्धि लाने का एक प्रभावी उपाय है।
- रोगों मुक्ति तथा स्वास्थ्य लाभ :- नारायण सूक्त का पाठ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है। भगवान विष्णु की पूजा से रोगों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को दीर्घायु एवं उत्तम स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- विघ्नों का नाश और सफलता: नारायण सूक्त के नियमित पाठ से जीवन में आने वाली बाधाओं और विघ्नों का नाश होता है। यह पाठ व्यक्ति को जीवन में सफलता, सौभाग्य और खुशहाली प्राप्त करने में मदद करते हैं। इसके द्वारा व्यक्ति अपने कार्यों में सफलता प्राप्त करता है और किसी भी प्रकार की विघ्न-बाधाओं से बचता है।
- कष्टों का नाश और जीवन में सौभाग्य :- नारायण सूक्त के नियमित पाठ से जीवन में आने वाले कष्टों और परेशानियों का नाश होता है एवं घर-परिवार में सुख, सौभाग्य और समृद्धि का वास होता है।
Puja Samagri
रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी, हल्दी, अबीर, गुलाल, अभ्रक, गङ्गाजल, गुलाबजल, इत्र, शहद, धूपबत्ती, रुईबत्ती, रुई, यज्ञोपवीत, पीला सरसों, देशी घी, कपूर, माचिस, जौ, दोना बड़ा साइज, पञ्चमेवा, गरी गोला, चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री, पीला कपड़ा सूती, काला तिल, चावल, कमलगट्टा, हवन सामग्री, घी, गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), बलिदान हेतु पापड़, काला उडद, पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी, हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच, नवग्रह समिधा, हवन समिधा, घृत पात्र, कुशा, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 07, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला - 5 ( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, तुलसी पत्र -7, पानी वाला नारियल, बिल्वपत्र, देवताओं के लिए वस्त्र -गमछा, धोती आदि, बैठने हेतु दरी,चादर,आसन, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित।