About Puja
दुर्गा सप्तशती पूजा देवी दुर्गा के तीन रूपोंस्वरुप – महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती – की पूजा है। यह पूजा उन सभी भक्तों के लिए अत्यंत लाभकारी है, जो मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हैं। यह पूजा न केवल मानसिक स्थिति को सशक्त करती है, बल्कि यह किसी भी प्रकार के शत्रु या नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव से भी सुरक्षा प्रदान करती है। पूजा के दौरान देवी दुर्गा की महिमा का गायन किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और आनंद की प्राप्ति होती है। नवरात्र में भगवती दुर्गा की उपासना हेतु दुर्गा सप्तशती, जिसे देवी महात्म्य भी कहा जाता है । हिन्दू धर्म के प्रमुख और शक्तिशाली मंत्रों में से एक है। यह देवी दुर्गा की 700 श्लोकों से बनी एक महत्वपूर्ण स्तुति है, जिसे मार्कंडेय पुराण से लिया गया है । इस स्तुति में देवी दुर्गा की महिमा और उनके द्वारा राक्षसों का संहार करने की कथा वर्णित है। यह पूजा विशेष रूप से उन व्यक्तियों द्वारा की जाती है, जो जीवन में किसी भी प्रकार की बाधाओं, नकारात्मकताओं और संकटों से मुक्त होना चाहते हैं।
Process
नवरात्रि पर्व एवं दुर्गासप्तशती (चण्डी) पाठ में होने वाले प्रयोग या विधि:-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ, प्रतिज्ञा-सङ्कल्प, गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक, षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन, नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन, रक्षाविधान
- अथ सप्तश्लोकी दुर्गा, दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
पाठ विधि -देव्याः कवच,अर्गलास्तोत्रम् कीलकम्, वेदोक्त रात्रिसूक्तम्
तन्त्रोक्त रात्रिसूक्तम् श्री देव्यथर्वशीर्षम्, नवार्ण विधि:,सप्तशतीन्यासः
- प्रथम अध्याय - मेधा ऋषि का राजा सुरथ और समाधि को भगवती की महिमा बताते हुए मधु कैटभ वध का प्रसङ्ग सुनाना।
- द्वितीय अध्याय- देवताओं के तेज से देवी का प्रादुर्भाव और महिषासुर की सेना का वध ।
- तृतीय अध्याय- सेनापतियों सहित महिषासुर का वध।
- चतुर्थ अध्याय- इन्द्रादि देवताओं द्वारा देवी की स्तुति।
- पंचम अध्याय – देवी की स्तुति, चण्ड मुण्ड द्वारा माता की प्रशंसा ।
- षष्ठ अध्याय- धूम्रलोचन वध।
- सप्तम अध्याय- चण्ड मुण्ड वध।
- अष्टम अध्याय- रक्तबीज-वध।
- नवम अध्याय-निशुम्भ-वध।
- दशम अध्याय - शुम्भ वध।
- एकादश अध्याय – देवताओं द्वारा स्तुति तथा देवताओं को वरदान।
- द्वादश अध्याय - देवी चरित्रों के पाठ का माहात्म्य
- त्रयोदश अध्याय – सुरथ और वैश्य को देवी का वरदान
- वेदोक्त देवी सूक्तम्, तन्त्रोक्त देवीसूक्तम् क्षमा प्रार्थना,सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र आदि।
Benefits
- मानसिक शांति :- दुर्गा सप्तशती का पाठ मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है, जिससे व्यक्ति का मन शांत रहता है।
- नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति :- इस पूजा के माध्यम से नकारात्मक ऊर्जा और दुष्ट शक्तियों से छुटकारा प्राप्त होता है और व्यक्ति का जीवन सकारात्मकता से भर जाता है।
- विघ्नों का नाश :- दुर्गा सप्तशती पाठ से शारीरिक एवं मानसिक कष्टों का नाश करता है ।
- अरिष्ट शमन :- दुर्गा (शक्ति) की उपासना एवं पाठ करने से समस्त अरिष्टों का शमन होता है
- शक्ति और सामर्थ्य का विकास :- इस पूजा के माध्यम से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है, जो व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक शक्ति प्रदान करती है।
- कष्ट निवृत्ति :- दुर्गा उपासना करने से शत्रु कष्ट, भय मुक्ति, बाधाओं की शान्ति, शारीरिक रोगों का नाश इत्यादि सभी प्रकार के विघ्नों से मुक्ति प्राप्त होती है।
- सकारात्मकता की प्राप्ति :- दुर्गा सप्तशती का पाठ एवं कलश स्थापन नवरात्रों में करने से घर का वातावरण अत्यंत सकारात्मक जो जाता है।
- कलश स्थापन :- घट स्थापना प्रतिपदा तिथि के दिन करनी चाहिए कयोंकि कलश में ब्रह्मा, विष्णु , रुद्र एवं समस्त तीर्थ और सागरों का वास होता है जिससे कलश को शुभता का प्रतीक माना जाता है।
- महामारी नाश :- जगत्जननी की उपासना से महामारी का नाश होता है।
- सौभाग्य प्राप्ति :- देवी की उपासना सौभाग्य तथा सन्तति की प्राप्ति में सहायक होती है ।
- शत्रु विजय :- शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के निमित्त भी हम देवी की उपासना कर सकते हैं।
- वैवाहिक समस्या समाधान :- विवाह में आ रही बाधा का समाधान तथा सुकन्या प्राप्ति (विवाह) में सहायक।
Puja Samagri
- रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी, हल्दी, अबीर, गुलाल, अभ्रक, गङ्गाजल, गुलाबजल, इत्र, शहद, धूपबत्ती, रुईबत्ती, रुई, यज्ञोपवीत, पीला सरसों, देशी घी, कपूर, माचिस, जौ, दोना छोटा, पञ्चमेवा, अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला, चावल (छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती, हवन सामग्री, कमल गट्टा -21, घी, गुड़(बूरा या शक्कर), पानपत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद, हवन कुण्ड, नवग्रह समिधा, घृत पात्र, कुशा, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध -100ML, दही -50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार (आवश्यकतानुसार), दूर्वादल (घास) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार -2 kg, पुष्पमाला -5(विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव –2, थाली -2 , कटोरी -5 ,लोटा -2 , चम्मच -2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र -गमछा , धोती आदि, बैठने हेतु दरी, चादर, आसन ।