About Puja
वेदों में वर्णित सूक्तों में पुरुषसूक्त का स्थान सर्वोपरि है। प्रत्येक देवपूजा में पुरुषसूक्त के मन्त्रों द्वारा षोडशोपचार पूजा संपन्न कराई जाती है। सूक्त विशेष रूप से सम्पूर्ण सृष्टि के निर्माण, ब्रह्मांड के सिद्धांत और जीवन के गहन आध्यात्मिक उद्देश्य को समझने में मदद करता है। पुरुषसूक्त में वर्णित तत्व, सृष्टि के आदि और अन्त का ज्ञान कराते हैं, जो जीवन को परमसत्ता के साथ जोड़ते हैं। पुरुषसूक्त में भगवान् विराटपुरुष के परमशक्तिशाली स्वरुप का विवेचन किया गया है- “ॐ सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात्” । भगवान् अपने दिव्यरूप में अवस्थित होकर सृष्टि के सम्पूर्ण कार्यों का संचालन करते हैं। यह मन्त्र व्यक्ति को आत्मसाक्षात्कार की दिशा में मार्गदर्शन करता है और उसे अपने जीवन के उच्चतम उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है -
"पुरुष एवेदं सर्वं यद्भूतं यच्च भव्यम्" पुरुष (परमात्मा) इस जगत् में ओतप्रोत है। जो कुछ भी जगत् में दिखाई पड़ता है वह सब कुछ उसी परमपिता परमात्मा की सत्ता से संचालित होता है। आध्यात्मिक एवं दार्शनिक दृष्टि से इस सूक्त का अत्यंत महात्मय है। इस सूक्त का उल्लेख ऋग्वेद के 10 वें मण्डल में, यजुर्वेद के 31 वें अध्याय में , अथर्ववेद के 19 वें काण्ड में, तैत्तरीयसहिंता, शतपथ ब्राह्मण तथा तैत्तरीय आरण्यक इत्यादि ग्रंथों में प्राप्त होता है।
Process
पुरुष सूक्त पाठ प्रयोग विधि:-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल, दशदिक्पाल, वास्तुपुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान
- प्रधान देवता पूजन
- पंचभूसंस्कार
- अग्नि स्थापन
- ब्रह्मा वरण
- कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति
- मूलमन्त्र आहुति
- चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति
- स्विष्टकृत आहुति
- पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राशन
- मार्जन
- पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक
- मार्जन
- बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन आदि
Benefits
- आध्यात्मिक उन्नति :- पुरुष सूक्त का पाठ व्यक्ति के आत्मिक और मानसिक शांति को बढ़ाता है। यह व्यक्ति को एकाग्रता और ध्यान की शक्ति प्रदान करता है।
- शारीरिक स्वास्थ्य :- पुरुषसूक्त का नियमित पाठ मानसिक तनाव को कम करता है और शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार करता है।
- संपत्ति और समृद्धि का वर्धन :- इस सूक्त का पाठ घर में समृद्धि, ऐश्वर्य और धन की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
- सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण :- पुरुषसूक्त का पाठ से समस्त समस्याओं का समाधान होता है तथा कार्य में आ रहे सभी विघ्न समाप्त होते हैं। यह किसी भी प्रकार की विघ्न-बाधाओं से मुक्ति दिलाने में भी सहायक है।
- आध्यात्मिक जागरूकता और भक्ति का विकास :- पुरुषसूक्त के पाठ से व्यक्ति को ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति की ओर प्रवृत्त करता है। यह मनुष्य को भगवान् के दिव्य गुणों और शक्तियों की अनुभूति कराता है, जिससे उसकी आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है।
- अभीष्ट वस्तुओं की प्राप्ति :- इस सूक्त के अनुष्ठानात्मक प्रभाव से मनुष्य को शीघ्र ही अभीष्ट वस्तुओं की प्राप्ति हो है।
Puja Samagri
रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी, हल्दी, अबीर, गुलाल, अभ्रक, गङ्गाजल, गुलाबजल, इत्र, शहद, धूपबत्ती, रुईबत्ती, रुई, यज्ञोपवीत, पीला सरसों, देशी घी, कपूर, माचिस, जौ, दोना बड़ा साइज, पञ्चमेवा, गरी गोला, चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री, पीला कपड़ा सूती, काला तिल, चावल, कमलगट्टा, हवन सामग्री, घी, गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), बलिदान हेतु पापड़, काला उडद, पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी, हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच, नवग्रह समिधा, हवन समिधा, घृत पात्र, कुशा, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 07, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला - 5 ( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, तुलसी पत्र -7, पानी वाला नारियल, बिल्वपत्र, देवताओं के लिए वस्त्र -गमछा, धोती आदि, बैठने हेतु दरी,चादर,आसन, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित ।