About Puja
संगीत, कला, विद्या, विज्ञान की अधिष्ठात्री देवी भगवती सरस्वती हैं। शिक्षा जगत् में देवी सरस्वती को अत्यंत उपासनीय एवं पूजनीय माना जाता है। ऋग्वेदीय सरस्वतीरहस्योपनिषद् के 30 मन्त्रों में वाक्देवी के स्वरुप का विशद वर्णन किया गया है। इन्हीं सूक्तों के द्वारा महर्षि आश्वलायन ने माँ सरस्वती की उपासना कर ज्ञान प्राप्त किया था । जो साधक इस सूक्त का पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास के साथ उपासना करता है अथवा स्वयं के लिए कराता है, उसकी बुद्धि सम्बंधित जड़ता दूर होती है। साधक अथवा विद्यार्थी के जीवन में विद्या प्राप्ति में आ रहे विघ्न एवं बाधाएँ दूर होते हैं ।
Process
सरस्वती सूक्त प्रयोग विधि :-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल, दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान,
- प्रधान देवता पूजन
- पाठ विधान
- विनियोग, करन्यास, हृदयादिन्यास
- ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
- पंचभूसंस्कार, अग्निस्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राश, मार्जन, पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Benefits
- बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि :-
सरस्वती सूक्त का पाठ करने से व्यक्ति की बुद्धि में वृद्धि होती है। यह सूक्त ज्ञान की देवी सरस्वती की आराधना है, जिससे मानसिक स्पष्टता और समर्पणता की भावना उत्पन्न होती है। विद्यार्थियों के लिए यह विशेष रूप से लाभकारी है, क्योंकि यह उनकी पढ़ाई में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है। - स्मरणशक्ति और एकाग्रता में सुधार :-
सरस्वती सूक्त के नियमित उच्चारण एवं अनुष्ठान से व्यक्ति की एकाग्रता और स्मरणशक्ति में सुधार होता है एवं साथ ही मस्तिष्क भी सक्रिय होता है, जिससे व्यक्ति कठिन कार्यों में भी सफलतापूर्वक ध्यान केंद्रित कर पाता है। - मन और ह्रदय में शांति :-
सरस्वती सूक्त का पाठ मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है। यह मानसिक तनाव, चिंता, और अवसाद को कम करता है और व्यक्ति को आंतरिक शांति का अनुभव कराता है। पूजा के समय ध्यान और मंत्र जाप से मानसिक स्थिति स्थिर रहती है। - सार्वभौमिक सफलता और समृद्धि :-
सरस्वती माता के आशीर्वाद से न केवल शिक्षा, बल्कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता और समृद्धि आती है। यह सूक्त व्यक्ति के प्रयासों को ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है, जिससे जीवन में सकारात्मक बदलाव होते हैं। - कला और रचनात्मकता में उन्नति :-
सरस्वती सूक्त का पाठ कलाकारों और संगीतकारों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होता है। यह श्लोक, कला, संगीत, और साहित्य में रचनात्मकता और प्रेरणा की वृद्धि करता है, जिससे व्यक्ति अपने कौशल में सुधार कर पाता है।
Puja Samagri
रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी, हल्दी, अबीर, गुलाल, अभ्रक, गङ्गाजल, गुलाबजल, इत्र, शहद, धूपबत्ती, रुईबत्ती, रुई, यज्ञोपवीत, पीला सरसों, देशी घी, कपूर, माचिस, जौ, दोना छोटा, पञ्चमेवा, अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला, चावल (छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती, हवन सामग्री, कमल गट्टा -21, घी, गुड़(बूरा या शक्कर), पानपत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद, हवन कुण्ड, नवग्रह समिधा, घृत पात्र, कुशा, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध -100ML, दही -50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार (आवश्यकतानुसार), दूर्वादल (घास) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार -2 kg, पुष्पमाला -5(विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव –2, थाली -2 , कटोरी -5 ,लोटा -2 , चम्मच -2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र -गमछा , धोती आदि, बैठने हेतु दरी, चादर, आसन ।