About Puja
उषा सूक्त का उद्देश्य केवल सूर्योदय अर्थात् उषा देवी की पूजा करना नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार और जीवन के प्रत्येक पहलू में नवीनता लाने का कार्य करती हैं। उषा देवी की पूजा से व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक विचारों, दु:खों और विफलताओं का नाश होता है। यह ऋग्वेद के प्रथम मण्डल का ११३ वाँ सूक्त है, जिसे “उषा सूक्त” के नाम से जाना जाता है। कुत्स आंगिरस ऋषि ने उषा देवी की दिव्य स्तुति कर महत्व को प्रतिपादित किया है। त्रिष्टुप् –छन्दमयी इस स्तुति में उषा देवी को सर्वश्रेष्ठ ज्योति के रूप में माना गया है। उषा देवी के साथ ही इस सूक्त में रात्रि देवी की भी स्तुति वर्णित है। यह सूक्त पाठ मनुष्य को क्रियाशील एवं गतिमान बनाती हैं, अतः यह श्रेष्ठ हैं। यह उषा सूक्त पाठ-पूजन की महिमा प्रात:काल में अनंत कही गयी है, क्योंकि यह समय मनुष्य की शक्ति को जागृत करने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इस समय में किए गए पाठ, जाप एवं पूजा का प्रभाव विशेष रूप से तेज और शुभ फल प्रदान करने वाला होता है।
Process
उषा सूक्त पाठ प्रयोग विधि:-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल, दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान
- प्रधान देवता पूजन
- पंचभूसंस्कार
- अग्नि स्थापन
- ब्रह्मा वरण
- कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति
- मूलमन्त्र आहुति
- चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति
- स्विष्टकृत आहुति
- पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राशन
- मार्जन
- पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक
- मार्जन
- बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन आदि
Benefits
- अंधकार से निवृत्ति :-
यह पूजा व्यक्ति के जीवन में अंधकार और नकारात्मकता को दूर कर मनुष्य को नित्य आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करती है। - प्राकृतिक ऊर्जा का संचार :-
उषा सूक्त के पाठ से सूर्य के उदित होने की शक्ति और ऊर्जा का लाभ प्राप्त होता है, जिससे मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। - सकारात्मकता और सफलता की प्राप्ति :-
यह पूजा आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि प्रदान करने में भी सहायक है। - आध्यात्मिक उन्नति :-
उषा सूक्त पूजा आपके आत्मिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक शक्तियों को जागृत करती है, जिससे आपके जीवन में आध्यात्मिक प्रगति होती है।
Puja Samagri
रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी, हल्दी, अबीर, गुलाल, अभ्रक, गङ्गाजल, गुलाबजल, इत्र, शहद, धूपबत्ती, रुईबत्ती, रुई, यज्ञोपवीत, पीला सरसों, देशी घी, कपूर, माचिस, जौ, दोना छोटा, पञ्चमेवा, अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला, चावल (छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती, हवन सामग्री, कमल गट्टा -21, घी, गुड़(बूरा या शक्कर), पानपत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद, हवन कुण्ड, नवग्रह समिधा, घृत पात्र, कुशा, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध -100ML, दही -50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार (आवश्यकतानुसार), दूर्वादल (घास) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार -2 kg, पुष्पमाला -5(विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव –2, थाली -2 , कटोरी -5 ,लोटा -2 , चम्मच -2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र -गमछा , धोती आदि, बैठने हेतु दरी, चादर, आसन ।