About Puja
विवाह सूक्त, जिसे सोमसूर्या सूक्त के नाम से भी जाना जाता है। विवाह सूक्त अत्यंत पवित्र सूक्त है इसका पाठ विवाह के समय या पूर्व में करने पर विवाह पूर्णतया मांगलिक होता है। विवाह सूक्त का उल्लेख ऋग्वेद के दशम मण्डल के ८५ वें सूक्त में किया गया है। यह सूक्त अत्यंत दीर्घ है, इसमें 47 ऋचाएं हैं। इन ऋचाओं की द्रष्टा ऋषिका सावित्री सूर्या हैं। इस सूक्त में सूर्य,चन्द्र आदि देवताओं की स्तुति की गयी है। विवाहादि संस्कारों में इसके निमित्त कई मन्त्रों का उल्लेख किया गया है। विवाह संस्कार के समय विभिन्न देवी देवताओं की स्तुति मंत्रो के माध्यम से की जाती है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। सूक्त में वैदिक मन्त्रों के माध्यम से परमपिता परमेश्वर से वर एवं वधू के कल्याण के निमित्त स्तुति की गयी है। विवाह संस्कार में वर को नारायण एवं वधू को परमकल्याण कारिणी, सौभाग्यशालिनी एवं मंगल प्रदान करने वाली कहा है। यह सूक्त दांपत्य जीवन में सुख, समृद्धि, और प्यार का प्रवाह सुनिश्चित करता है, एवं विशेष रूप से भगवान् विष्णु, माता लक्ष्मी, और अन्य देवताओं के आशीर्वाद से जुड़ा है, जो वैवाहिक संबंधों में संतुलन और खुशी बनाए रखने के लिए आवश्यक होते हैं।
Process
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल, दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान,
- प्रधान देवता पूजन
- पाठ विधान
- विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
- ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
- पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राश, मार्जन, पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Benefits
- वर एवं वधू के समग्र अमङ्गल का विनाशक यह सूक्त पाठ है।
- उत्तम सन्तति (पुत्रादि)को प्राप्त कराने की मङ्गलमयी भावना से इस सूक्त का पाठ अत्यन्त उपयोगी है।
- यहाँ बताया गया है कि यदि पति अपनी पत्नी के वस्त्रों का उपयोग करता है तो पति का शरीर कान्ति रहित होकर रोग आदि से दूषित हो जाता है।
- यह सूक्त शत्रुनाशक भी कहा गया है।
- विवाह के समय वर वधू से कहता है कि सौभाग्य अभिवृद्धि के लिए मैं तुम्हारा पाणिग्रहण करता हूँ, देवताओं ने गृहस्थ धर्म का पालन करने के लिए तुम्हे, मुझे प्रदान किया है, तुम वृद्धावस्था पर्यन्त मेरे साथ सुख पूर्वक रहो ।
- पति पत्नी के दीर्घायु की कामना इन विवाह सूक्त द्वारा की गयी है।
- वर और वधू का परस्पर वियोग कभी न हो गृहस्थ जीवन में पुत्र पौत्रादि सन्तति के साथ आनन्द -पूर्वक जीवन व्यतीत करें।
- समग्र परिवार के लिए यह सूक्त सुखकारिणी तथा पत्नी का सुन्दर आचरण होवे,यह प्रार्थना की गयी है।
- वधू, श्वसुर, सास, ननद एवं देवरों को प्रसन्न तथा सन्तुष्ट करने वाली हो।
Puja Samagri
रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी, हल्दी, अबीर, गुलाल, अभ्रक, गङ्गाजल, गुलाबजल, इत्र, शहद, धूपबत्ती, रुईबत्ती, रुई, यज्ञोपवीत, पीला सरसों, देशी घी, कपूर, माचिस, जौ, दोना बड़ा साइज, पञ्चमेवा, गरी गोला, चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री, पीला कपड़ा सूती, काला तिल, चावल, कमलगट्टा, हवन सामग्री, घी, गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), बलिदान हेतु पापड़, काला उडद, पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी, हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच, नवग्रह समिधा, हवन समिधा, घृत पात्र, कुशा, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 07, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला - 5 ( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, तुलसी पत्र -7, पानी वाला नारियल, बिल्वपत्र, देवताओं के लिए वस्त्र -गमछा, धोती आदि, बैठने हेतु दरी,चादर,आसन, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित